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राजा-रानी कथा

raja rani katha

वीरेंद्र वत्स

वीरेंद्र वत्स

राजा-रानी कथा

वीरेंद्र वत्स

और अधिकवीरेंद्र वत्स

    राजा के घर चौका-बर्तन करती फूलकुमारी

    दो हज़ार तनख़्वाह महीना, बची-खुची त्योहारी

    हिरनी जैसी फुर्तीली है पल भर में जाती

    हँसते-गाते राजमहल के सभी काम निबटाती

    श्रम का तेज पसीना बनकर तन से छलक रहा है

    हर उभार यौवन का झीने पट से झलक रहा है

    बीच-बीच में राजा से बख़्शिश आदि पा जाती

    जोड़-तोड़कर जैसे-तैसे घर का ख़र्च चलाती

    बूढ़ा बाप दमा का मारा खाँस रहा है घर में

    घर क्या है खोता चिड़िया का बदल गया छप्पर में

    रानी जगमग ज्योति-पुंज-सी अपना रूप सँवारे

    चले गगन में और धरा पर कभी पाँव उतारे

    नारीवादी कार्यक्रमों में यदा-कदा जाती है

    जोशीले भाषण देकर सम्मान ख़ूब पाती है

    सोना-चाँदी हीरा-मोती साड़ी भव्य-सजीली

    रंग और रोगन से जी भर सजती रंग-रँगीली

    यह सिंगार भी राजा की आँखों को बाँध पाता

    मन का चोर मुआ निष्ठा को यहाँ-वहाँ भरमाता

    राजा ने जब फूलकुमारी की तनख़्वाह बढ़ाई

    मालिक की करतूत मालकिन हजम नहीं कर पाई

    फूलकुमारी को रानी ने फौरन मार भगाया

    उसके बदले बीस साल का नौकर नया बुलाया

    स्रोत :
    • रचनाकार : वीरेंद्र वत्स
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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