प्रक्रिया
prakriya
कविता एक लिखबाक अछि
प्रकाशित करयबाक हेतु
पढ़ि-पढ़िकेँ लोक तकरा
आकृति बनाबय हमर—
ताही योजनाक चिंतामे
निशाभाग राति धरि
पड़ल-पड़ल
भोरमे सुतैत छी...।
जीवन भरि जीयब थिक आवश्यक नीक जकाँ
ताहि हेतु सम्पत्तिक प्रयोजन छैक अलेल
वैमानिक बिना से संभव अछि कहाँ
मिथ्या-भाषण तँ बजबाक चतुरता थिकैक
ढ़ीलढ़ाल अंगरखामे रखैत छी भावना उदार
दोबर व्यक्तित्वक बंडी पहिरैत छी
चुस्त पयजामा हमर कठोर व्यक्तित्वक प्रतीक
आँखि परक शीशासँ देखी नहि असल रूप
लागय नहि दृष्टि-दोष—
मुक्त चरण चट्टी
आ शुष्क झोड़ा एक
लटकाबी,
लटकल छी जहिना हम एक कात...।
चिन्तनसँ भरल-पुरल
पोड़ा आ कुण्ठासँ संत्रासित
भूख आ बेकारिक विरोधमे
पीड़ा तकर नहियों जँ बूझि सकय
एकटा नाटकीय व्यक्तित्वक आभास धरि भए जाइक
कविताक संग फोटो छपब जरुरी
तेँ फोटो खिचायब
मुदा, कविता पढ़ैत काल—
तेल लेब छोड़ि
तावत दाढ़ी बढ़बैत छी...।
- संपादक : बालमुकुन्द
- रचनाकार : हंसराज
- प्रकाशन : ई-मिथिला
- संस्करण : 2018
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