प्रेम इंटरनेट पर

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अनामिका

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    शास्त्रीय प्रेमियों की तरह

    मनोयोगपूर्वक

    दबा नहीं सकता वह मेरा सर,

    गूँथ नहीं सकता मेरी चोटी,

    मटके में पानी भी भरवा नहीं सकता,

    हाँ, मल नहीं सकता भेंगरिया के पत्ते

    मेरी बिवाइयों पर,

    पर वह हँसा सकता है मुझको

    मेरे विकटतम क्षणों में

    अच्छे चुटकुले भेजकर!

    फॉरवर्ड कर सकता है भास्वर अंश मुझको

    कितनी नायाब किताबों से।

    ले सकता है मॉक-इंटरव्यू

    असली वाली अंतर्वीक्षा के पहले!

    मुझको सलाहें दे सकता है,

    मोती लुटा सकता है मुझ पर

    चुस्त फब्तियों के।

    दोष गिना सकता है मेरे

    मस्ताना निरपेक्षता से!

    राममोहन राय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर,

    कार्वे और ज्योतिबा फुले वाले धीरज से

    वह चला सकता है आंदोलन

    मेरे ही नवजागरण को निवेदित!

    एक ठठेरे वाली दत्तचित्तता से

    वह कर सकता है पच्चीकारी

    मेरे वजूद के दरके भाँडे पर!

    घर में बहुत भीड़-भाड़ अगर हो तो

    रह सकता है सात परदों में क़ाबिल ऐयार की तरह!

    बिजली बिल खो जाए मेरा तो

    लाल बुझक्कड़ वाली मग्न क्षिप्रता से

    कह सकता है मूँदकर आँखें—

    ‘‘देखो तो चौके के टेबुल की बाईं तरफ़ की

    किताबों पर, कल जब तुम छौंक रही थी सब्ज़ी

    और उद्धरण मुझको सुना रही थीं उन किताबों से,

    बिजली का टैरिफ बढ़ जाने पर

    नाक धुनी थी तुमने

    एक ब्रेक-सा बीच में लेकर!’’

    जब भी मेरी नौकरी छूटे,

    जब मुझको मार पड़े,

    या गालियों की घटा घुमड़े

    या फिर लथेड़ लिया जाए मुझे

    कीचड़ में बीच सड़क—

    वह मुझको कर सकता है एक एस.एम.एस. ऐसा

    जो मेरे डूबते हुए मन को एक ही झपाके में

    रहट की तरह ऊपर खींचे!

    बातें भी हो सकती हैं उड़नखटोला

    और शब्द हो सकते हैं फ़ारस का घोड़ा—

    ये उसकी बातों ने मुझको सिखाया!

    एक दिन मुझसे कहा उसने—

    ‘‘प्राचीन वेल्श में हरवाहे

    बैलों का मनुहार करते हुए

    चलते थे बैलों के आगे,

    झुक-झुक कर, गाते-बजाते हुए वे चलते थे

    कि बैल हो लें प्रसन्न

    और खेत में प्रफुल्ल क़दमों से उड़ते हुए-से चलें!

    मिट्टी पर उड़ते हुए क़दमों से

    बैलों का चलना,

    मीठी फ़सल देता है, अजी मोहतरमा!

    टूटेगा गजघंट,

    पंख फड़फड़ाकर

    आकाश में उड़ेगी—

    किसी अकेले गिद्ध के ही

    समानांतर?

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनामिका
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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