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फाटल मन

phatal man

विजेता चौधरी

अन्य

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विजेता चौधरी

फाटल मन

विजेता चौधरी

और अधिकविजेता चौधरी

    जानि नहि रातुक कोन पहर

    मोटा-चोटा बान्हिकऽ निकलल छलैक भीमबहादुर

    आन्दोलनी दैत्यसँ त्रसित भऽ

    धूरा गर्दामे बीतल

    नेनपन जुआनीक खिस्सा सभकेँ मोटरी बन्हैत

    अपन पुरखाक धूरीसँ विक्षिप्त

    कोनो अनठियाह गन्तव्य दिस

    मुदा सजल आँखिमे छलैक

    जानकी स्कूलक चित्र

    बारह बिगहा मेला

    रामनवमीक भीड़

    मुदा चित्र सभ छलैक नोरसँ धुँधियायल

    भविष्ये जकाँ

    अन्धकार

    अदृश्य

    दूरसँ उठैत कोनो स्वर झकझोरि दैत छलैक

    पहाड़ी भगौड़ा

    मधेस छोड़

    कर्णभेदी स्वरमे

    कतहु अपन परिचित स्वर

    कोनो प्रिय स्वर सम्मिश्रित भऽ उठैत छलैक

    विश्वासघातसँ उठैत पाथर

    बेर-बेर कऽ दैत छलैक आत्मा खण्डित

    के छलैक उकसेनिहार

    के छलैक

    जे सांस्कृतिक मजबूत रेशमी डोरिमे

    सम्प्रदायकेँ फाँसी चढ़बऽ लेल आतुर छलैक

    मूर्ख रथ केर सारथी, कोनो अवसरवादी

    जानि नहि

    मुदा रातुक अन्धकारमे

    जीवन अस्मिताक रक्षा करैत

    नेह-छोह केर बेड़ीसँ खूनेखुनाम भऽ

    निकलि रहल छलैक भीमबहादुर

    अपने जन्मभूमिसँ शरणार्थी भऽ

    तेँ मन छलैक फाटल

    गुदरी भेल छलैक विश्वास

    जानि नहि, इतिहास बिसरि सकतैक

    किंवा भविष्य सीबि सकतैक

    फेर ओकर आत्मा

    ओकर फाटल मन

    जानि नहि...?

    स्रोत :
    • पुस्तक : धाराक विरुद्ध (पृष्ठ 32)
    • रचनाकार : विजेता चौधरी
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2019

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