पीहर से लौटकर पत्नी

pihar se lautkar patni

सवाई सिंह शेखावत

सवाई सिंह शेखावत

पीहर से लौटकर पत्नी

सवाई सिंह शेखावत

और अधिकसवाई सिंह शेखावत

    बड़े दिनों बाद

    पीहर से लौटी है पत्नी

    और मुझे बेतरह याद रहा है

    महीनों पहले खाई

    अदरक, प्याज़

    और हरी मिर्च के बघार वाली

    अरहर की दाल का स्वाद

    कितनी सुहानी

    कितनी समरस हो गई हैं

    घर की विरूपताएँ

    कितना अद्भुत है चीज़ें वहीं हैं

    लेकिन पत्नी सरहद लाँघ रही है

    प्रेमिका के इलाक़े में दाख़िल होते हुए

    बड़े दिनों बाद

    रगों में रहा है

    एक सौंधा उबाल

    देह की हर दस्तक में

    खुल रहा है

    लहू में घुल रहा है

    यह राज़

    कि यह कविता ही है

    जो हर कहीं हो सकती है

    बड़े दिनों बाद

    पीहर से लौटी पत्नी में भी।

    कितनी बड़ी है यह दुनिया

    हर चिट्ठी छोटी पड़ जाती है

    आदमी के लिए उतनी-सी है दुनिया

    जितनी उसकी चिट्ठी में आती है

    क्या होगा उस दुनिया का

    जो चिट्ठी से बाहर रह जाती है

    स्रोत :
    • रचनाकार : सवाई सिंह शेखावत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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