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दुबारा आगमन

dubara agaman

अनुवाद : सरिता शर्मा

विलियम बटलर येट्स

अन्य

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विलियम बटलर येट्स

दुबारा आगमन

विलियम बटलर येट्स

और अधिकविलियम बटलर येट्स

    बड़े होते आवर्त में गोल-गोल चक्कर काटता बाज

    अपने मालिक को सुन नहीं सकता;

    सब चीज़ें बिखर रही हैं, केंद्र के वश के बाहर;

    केवल अराजकता छा गई है दुनिया में,

    रक्तरंजित ज्वार भाटा छोड़ दिया गया है, और हर जगह

    भोलेपन की रस्म ख़त्म हो गई है;

    अच्छे लोगों में दृढ़ विश्वास की कमी है, जबकि बुरे लोग

    जोशीले उन्माद में भरे हैं।

    ज़रूर कोई पर्दाफ़ाश होने वाला है;

    अवश्य दूसरा अवतार आने वाला है।

    दूसरी बार अवतार! ये शब्द मुँह से निकलते ही

    सामूहिक स्मृति से निकली विशाल छवि

    मेरी नज़रों को परेशान कर देती है रेगिस्तान की रेत में कहीं;

    शेर के शरीर और इंसानी सिर की आकृति;

    भावशून्य और सूरज जैसी निर्मम टकटकी

    अपनी मंद जंघाओं से आगे बढ़ रहा है, जबकि इसके आस-पास

    रेगिस्तान के क्रोधित परिंदों की छायाएँ गोल-गोल घूम रही हैं

    अँधेरा फिर से छा जाता है मगर अब मैं जानता हूँ

    बीस शताब्दियों की पथरीली नींद

    हिचकोले खाते पालने के दुस्वप्नों से संतप्त है,

    और कैसा बर्बर नरपशु, अंततः जिसका समय गया है,

    बेढब चाल से जन्म लेने हेतु बेथलेहम की ओर बढ़ रहा है?

    स्रोत :
    • पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कविताएँ (पृष्ठ 33)
    • रचनाकार : विलियम बटलर येट्स
    • प्रकाशन : इंडिया टेलिंग
    • संस्करण : 2020

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