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फालतू बातें तुम्हारे लिए

phaltu baten tumhare liye

अनुवाद : श्रीवत्स करशर्मा

चक्रधर राउत

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चक्रधर राउत

फालतू बातें तुम्हारे लिए

चक्रधर राउत

और अधिकचक्रधर राउत

    एक

    लिखने की इच्छा होती

    अनेक कविता

    तुम्हारे मुख के आईने को

    देख बार बार

    उसी में अपना मुँह देख

    सारे भाव नदारद हो जाते है

    लिख नहीं सकता।

    दो

    तुम्हारी प्रीति की क्यारी से

    उखाड़ने फालतू घास

    जब मैं हाथ बढ़ाता

    दूसरे पल में

    सब कुछ बन जाता झलमल

    प्रीति की फसल

    रह जाता आश्चर्य चकित!

    तीन

    तुम जब हँस देती

    खोल अपने

    पतले ओंठ की पंखुड़ी

    प्रतीत होता, जैसे कि

    मेरे जीवन के बग़ीचे में

    गया असमय

    फाल्गुन का

    फूल खिला समय;

    तुम जब

    गुमसुम बैठी रहती

    प्रतीत होता तब

    मेरे मन के आसमान में अकस्मात छा गये

    असमय के बादल!

    चार

    मेरी स्नेहभरी आँखों में

    आँखों भरा प्रकाश

    तुम्हारी आँखों के आँगन में

    जब झर जाता अयाचित

    हृदय की ममता देकर

    तुम उसे सयत्न रखने से

    वह तो अव्यक्त भाषा में

    मेरे जीवन में काव्य बन खिलता!

    पाँच

    तुम्हारी आँखों के प्रपात से स्रवित

    अनुपात के

    कई बूँद आँसू

    मेरे हृदय की मरूभूमि को

    प्लावित कर

    पलभर में बहा लेता है

    बहु दिनों के स्तर-स्तर

    अभिमान का हिमालय!

    छ:

    मेरे मन के श्यामपट पर चित्रित

    दृश्य अदृश्य

    तुम्हारी स्मृति के अक्षर

    इच्छा होने पर भी कभी-कभी

    पढ़ा नहीं जाता

    पढ़ता तो सब कुछ भूल जाता

    कारण मैं ढूँढ़ कर भी नहीं पाता!

    सात

    तुम्हारे दिल के बग़ीचे में

    सिर्फ़ एक-प्रेम फूल की

    मधुर महक से

    आत्म विभोर

    मैं रूप,रस लुब्ध तितली;

    अंतरंग ममता से

    सब कुछ भूलकर, खो दिया है

    मेरी जीवन-वीणा की

    स्वर हीन रागिनी।

    आठ

    तुम्हारे प्रीतिभरा

    प्रियतम संबोधन

    मेरे जीवन के रेगिस्तान में कभी-कभी

    क्या नहीं उगाया है, शांतिदायी

    छायाघन ‘ओयेसिस’!

    नौ

    मेरी कविता का

    शब्द रूपी फूल शर ने

    तुम्हें जब किया है

    उन्माद, अधीर, तब कहो

    मेरे सम्मुख

    बनाया है कौन

    हमारी अभेद्य-प्रीति का

    अदृश्य प्राचीर?

    स्रोत :
    • पुस्तक : मेघमुक्त मन की कविता (पृष्ठ 59)
    • संपादक : दयानिधि राउत
    • रचनाकार : चक्रधर राउत
    • प्रकाशन : प्राणीमंगल समिति, भुवनेश्वर
    • संस्करण : 2000

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