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पेहेउ अब न दारु

peheu ab na daru

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

पेहेउ अब न दारु

जगजीवन मिश्र ‘जीवन’

और अधिकजगजीवन मिश्र ‘जीवन’

    मारेउ ना गरियाएउ ना बेदर्दी बलमवा सताएउ ना

    मारेउ ना गरियाएउ ना बेदर्दी बलमवा सताएउ ना

    चाहे लइ जाउ मोरे तिलरी कंगना

    रोज-रोज झगड़ा हइ नीको नाई घरमा

    आधी रतिया का पेइ-पेइ आएउ ना

    बेदर्दी बलमवा सताएउ ना

    पेउ मगर एतनी कि रहउ होस महियाँ

    मानेउ ना केतना बतावा तुम कहियाँ

    लोटि नालिन मा हमका लजाएउ ना

    बेदर्दी बलमवा सताएउ ना

    करिहौ वह तुमरे मन आवइ जेतना

    हमरउ कहा तुमहूँ करि दीन्हेंउ एतना

    लड़िका बच्चन का भूखेन सोवाएउ ना

    बेदर्दी बलमवा सताएउ ना

    जइसन कहिहौ वइस हम करिबै

    तुम नाही खइहौ तौ हम नाही खइबै

    कबहूँ हमरी सवतिया का लाएउ ना

    बेदर्दी बलमवा समाएउ ना

    चहँइ जइसे हउ हमरे, तुमहे पियारे

    तुमरिय तकउँ राह बैठिकै दुआरे

    तुम हमका अपलच्छनु लगाएउ ना

    बेदर्दी बलमवा सताएउ ना

    मौत का धरु है पेहेउ अब दारू

    हमकउ समझिहैं सबइ जन भारू

    यहि उमरिया मा ब्यावा बनाएउ ना

    बेदर्दी बलमवा सताएउ ना

    स्रोत :
    • पुस्तक : सिरका (अवधी गीत संग्रह) (पृष्ठ 12)
    • रचनाकार : जगजीवन मिश्र ‘जीवन’
    • प्रकाशन : भगवत मेमोरियल इंटर कॉलेज समिति, मिश्रिख, सीतापुर
    • संस्करण : 2015

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