परती परहक फूल
parti parhak phool
सब राति बनैत अछि
ओ सोहागिन
सब राति सजैत छै
ओकर बिछाओन
सब राति महकैत छै ओकर आँचर
बेली, चमेली, चम्पाक महकसँ
पयरमे लगबैत अछि महावर (रंग)
आँखिमे काजर
हाथ मेंहदी/केशमे गजरा
चाँद सितारासँ भरल चुनरी
ओ माथ पर राखि निहारैत अछि
अपन रूप/अयनामे
शरद पूर्णिमाक हँसी
पसरि जाइत छैक
ओकरा मुँहपर
जगमगाइत छै ओकर अंगना
ककरो आहटसँ
खनकैत छै ओकर चूड़ी
ककरो स्वर्श सँ
बजैत छैक/ओकर पायल
ओ धुन/जकर कोनो नाम नै छैक
जकर कोनो पहचान नै छैक
सब राति/करैत अछि ओ अभिसार
एकटा पुरुष
एक रातिक पतिक संग
सभ दिन/भऽ जाइत अछि ओ
विधवा
बिला जाइत छै ओकर पति
पानिक बुलबुला जकाँ
हेरा जाइत छै ओकर खुशी
दुनियाँक भीड़मे
ओ ककरो नै रहैत अछि
ओकर कियो नै रहैत छै
ओकरा आँगनमे लोक झाँकैत नै अछि
ओकरा दिस लोक तकैत नै अछि
मेहदीक रंग बदरंग
गजराक महक फीका
काजर कलंक
आ पायल निःशब्द
बुझना जाइत अछि दिन भरि
परती परहक फूल जकाँ
महकैत छै ओकर जीवन
वीरानमे
जकरा लेल सब राति वसन्त
आ सब दिन पतझड़ भरल होइत अछि
ओ अपन इज्जत बेचैत अछि
अपना पेटक खातिर
ओ दोसर पुरुषकेँ/अपन पति बनबैत अछि
अपना पेटक खातिर
जेकर सुख दुःख
मान-सम्मान
तार-तार भऽ जाइत अछि
पेटक खातिर।
- पुस्तक : परती परहक फूल (पृष्ठ 123)
- रचनाकार : कामिनी
- प्रकाशन : शेखर प्रकाशन
- संस्करण : 2013
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