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परती परहक फूल

parti parhak phool

कामिनी

अन्य

अन्य

कामिनी

परती परहक फूल

कामिनी

और अधिककामिनी

    सब राति बनैत अछि

    सोहागिन

    सब राति सजैत छै

    ओकर बिछाओन

    सब राति महकैत छै ओकर आँचर

    बेली, चमेली, चम्पाक महकसँ

    पयरमे लगबैत अछि महावर (रंग)

    आँखिमे काजर

    हाथ मेंहदी/केशमे गजरा

    चाँद सितारासँ भरल चुनरी

    माथ पर राखि निहारैत अछि

    अपन रूप/अयनामे

    शरद पूर्णिमाक हँसी

    पसरि जाइत छैक

    ओकरा मुँहपर

    जगमगाइत छै ओकर अंगना

    ककरो आहटसँ

    खनकैत छै ओकर चूड़ी

    ककरो स्वर्श सँ

    बजैत छैक/ओकर पायल

    धुन/जकर कोनो नाम नै छैक

    जकर कोनो पहचान नै छैक

    सब राति/करैत अछि अभिसार

    एकटा पुरुष

    एक रातिक पतिक संग

    सभ दिन/भऽ जाइत अछि

    विधवा

    बिला जाइत छै ओकर पति

    पानिक बुलबुला जकाँ

    हेरा जाइत छै ओकर खुशी

    दुनियाँक भीड़मे

    ककरो नै रहैत अछि

    ओकर कियो नै रहैत छै

    ओकरा आँगनमे लोक झाँकैत नै अछि

    ओकरा दिस लोक तकैत नै अछि

    मेहदीक रंग बदरंग

    गजराक महक फीका

    काजर कलंक

    पायल निःशब्द

    बुझना जाइत अछि दिन भरि

    परती परहक फूल जकाँ

    महकैत छै ओकर जीवन

    वीरानमे

    जकरा लेल सब राति वसन्त

    सब दिन पतझड़ भरल होइत अछि

    अपन इज्जत बेचैत अछि

    अपना पेटक खातिर

    दोसर पुरुषकेँ/अपन पति बनबैत अछि

    अपना पेटक खातिर

    जेकर सुख दुःख

    मान-सम्मान

    तार-तार भऽ जाइत अछि

    पेटक खातिर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : परती परहक फूल (पृष्ठ 123)
    • रचनाकार : कामिनी
    • प्रकाशन : शेखर प्रकाशन
    • संस्करण : 2013

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