प्रकाश की प्रशंसा का गीत - 9
parkash ki prshansa ka geet - 9
हमारे पूर्वजों ने गौरव जीता,
और हमारे लिए पथ प्रशस्त किया
रास्ते में उन्होंने अमिट पदचिह्न छोड़े
और हर पदचिह्न पर रक्त के निशान।
अब हम एक नया लंबा अभियान शुरू कर रहे हैं।
यह लंबा अभियान केवल 25000 मील लंबा नहीं है :
हम केवल हज़ारों पर्वत ही पार नहीं करना चाहते,
हम केवल हज़ार मील लंबे मिनशान पर्वत का आरोहण—नहीं करना
चाहते,
हम केवल चिनशा और तातू नदियों पर विजय नहीं पाना चाहते,
हम और भी महत्त्वपूर्ण और ख़तरनाक पार-पथों पर कब्ज़ा चाहते हैं।
जब हम आरोहण करेंगे, तो भारी बर्फ़ीले तूफ़ानों का भी सामना होगा, औ'
अधिक ग्लेशियर मिलेंगे...
पर प्रकाश चाहता है कि हम आगे बढ़ें,
प्रकाश हमें प्रोत्साहन देता है, हमें उत्तेजित करता है,
प्रकाश हमें नए युग की भोर देता है,
हमारे लोग चारों तरफ़ से आते हैं और गाते आगे बढ़ रहे हैं
विश्वास और साहस हमारे साथी हों,
उदात्त आदर्शों से हम सुसज्जित हों,
हम अग्रिमतम वर्ग के साथ हैं,
हमारे हृदय आशा से जगमगा रहे हैं,
हमारी प्रगति का रास्ता प्रकाश में धूप ले रहा है।
हमारे जीवन के हर दिन को चरखे की तरह कताई करने दो,
हमारे जीवन से श्रेष्ठतम शक्ति आए,
धरती के गहनतम छोर से निकली ताक़त की तरह
हम प्रकाश के उच्चतम छोर तक अपने पंख फैलाएँ
विशाल और अंतहीन ब्रह्मांड में उड़ने के लिए।
तीव्र गति से हम उड़ें,
एकदम निडर भावना से उड़ें,
आज से कल की ओर उड़ें
हर दिन एक नया प्रस्थान बिंदु हो।
शायद एक दिन वह समय आएगा,
कि हमारा प्राचीनतम राष्ट्र
हमारा सर्वाधिक साहसिक सामाजिक वर्ग
प्रकाश का आमंत्रण पाएगा
सख़्ती से बंद दरवाज़ों को धड़ाम से खोलेगा
और ब्रह्मांड में हमारे तमाम पड़ोसियों से मिलेगा।
इसे ग्रह से शुरू कर हम
सूर्य की ओर उड़ें।
- पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 179)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : आई छिंग
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.