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ओकर दुनिया

okar duniya

सुस्मिता पाठक

अन्य

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सुस्मिता पाठक

ओकर दुनिया

सुस्मिता पाठक

और अधिकसुस्मिता पाठक

    भोरमे सुरूज जखन

    अपन आँखि तकैत अछि

    बहराइत अछि ठेहिआयल डेगसँ

    कान्हपर रखने एकटा कोदारि

    दर्जन भरि धीआपूताकेँ फुसियबैत

    भरि पेट भोजनक आश्वासन पियबैत

    फेर शुरू होइत अछि

    ओकर परिजनक एकटा बान्हल प्रतीक्षा—

    साँझ कखन सुरूजक मुँह झँपतैक

    बिनु तेलक जरतैक डिबिया

    काँपि-काँपि मिझेतैक

    कखन पसरत भरि घर काँच जारनिक धुआँ

    कखन पाकत मड़ुआ रोटी

    खायत फेकनी मुनियाँ

    मुदा होइछ कतेक विपरीत

    जखन अबैत अछि

    पसरैत छैक सौँसे घर

    भभकैत दारूक दुर्गन्धक संग

    अभावग्रस्त आत्माक कतेको कुशब्द

    फेर तँ दारूक दुर्गन्धक प्रबल शक्तिसँ

    हारि जाइत छैक

    ओकर स्त्रीक देहसँ बहराइत

    गोबरक दुर्गन्ध

    कनिते-कनिते सूति रहैत छैक

    फेकनी मुनियाँ

    एहिसँ फराक

    आओर नहि कतहु

    ओकर दुनिया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : परिचिति (पृष्ठ 13)
    • रचनाकार : सुस्मिता पाठक
    • प्रकाशन : किसुन संकल्प लोक
    • संस्करण : 1997

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