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नानी का घर

nani ka ghar

रंजना जायसवाल

रंजना जायसवाल

नानी का घर

रंजना जायसवाल

और अधिकरंजना जायसवाल

    माँ आज ख़ुश थी

    बहुत ख़ुश…

    ख़ुश होने के कारण बहुतेरे थे

    वह पहली बार अपने बेटे को लेकर

    उसके ननिहाल जा रही थी।

    उम्र का कोई भी पड़ाव हो

    मायका हर लड़की को खींचता है।

    वह ख़ुश थी बहुत ख़ुश

    पर इस बार

    उनकी ख़ुशी का कारण

    दूसरा था।

    जिस घर को नानी ने अपने

    ख़ून-पसीने से सींचा

    जिसकी दीवारें गवाह थी

    उनके त्याग और बलिदान की

    जिसकी ईंट-ईंट में बसती थी उनकी आत्मा

    वह जीवन भर रहा नाना और मामा का घर

    दरवाज़े पर लगी नेम प्लेट पर भी

    उन्हें जगह नहीं मिली!

    माँ आज ख़ुश थी

    बहुत ख़ुश…

    जिस पहचान के लिए

    नानी उम्र भर तरसती रही

    मेरे जाने से

    उन्हें वह पहचान मिल गई थी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : रंजना जायसवाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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