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नमन करूँ छोटी बेटियों को

naman karun chhoti betiyon ko

सविता सिंह

सविता सिंह

नमन करूँ छोटी बेटियों को

सविता सिंह

और अधिकसविता सिंह

    नमन करूँ इस देश को

    जहाँ मार दी जाती हैं हर रोज़

    ढेर सारी औरतें

    जहाँ एक औरत का जीवित रहना

    एक चमत्कार की तरह है

    नमन करूँ उस माँ को

    अपनी बेटियों को जनती हुई जो

    रोती है ‘अब क्या होगा इनका ईश्वर

    इस दुनिया में'

    नमन करूँ उस पिता को

    जो देता है जीवन बेटियों को

    अपनी हड्डियों-रक्त-मज्जा से

    बनाता है उनका शरीर

    फिर काग़ज़ की नावों की तरह

    बहा आता है उन्हें जीवन के अथाह जल में

    नमन करूँ उन छोटी बेटियों को

    जो जी लेती हैं जैसे-तैसे मिला यह जीवन

    हो लेती हैं पार काग़ज़ की नौकाएँ होते हुए भी

    डूबती हैं कई

    कई गल भी जाती हैं बीच में ही

    कुछ लगती हैं पार

    ख़तरनाक इन गहरे जलाशयों के

    स्रोत :
    • पुस्तक : अपने जैसा जीवन (पृष्ठ 45)
    • रचनाकार : सविता सिंह
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2001

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