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पावसी : तामसी

सुरेन्द्र झा 'सुमन'

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और अधिकसुरेन्द्र झा 'सुमन'

    (रस-चित्र)

    हास्य—अति अन्धकार घन घोर घटा, कखनहु छिटकय बिजुरीक छटा

    गम्भीर अभिनयक दृश्य हटा, हँसबैछ हँसैछ जेना विपटा

    करुण—मेघक भरि आयल नयन-कोर, टप-टप अकाससँ खसय नोर

    ठनकाक ठनक हिचकी अथोर, कनबैछ कनैछ निशीथ घोर

    रौद्र—सन-सन पुरबा बहि रहल जोर, झाँटक डाँटब अछि विषम रोर

    अपराध ककर, कंत दण्ड घोर, तमतम तमसायब तमक जोर

    भयानक—वन-वन तरु-तरु कम्पित अधीर, थर-थर काँपय सरिताक नीर

    बेहोस खसय तट माटि भीड़, डेरबैछ प्रकृति डेरबुक अधीर

    वीभत्स—पिचपिच सब थल मन भिनकि रहल, चाली सहसह पद पिचकि रहल

    गलि-पचि खढ़-पातो गन्हा रहल, बरिसात राति-दिन घिना रहल

    वीर—रण-थल निशीथ, तम-दल विपक्ष, तड़ितक इजोत लड़इछ समक्ष

    छन तिमिर जोर, खन बढ़ इजोर, जय-पराजयक नहि ओर-छोर

    शृंगार—वन गुहमे बसि की रति रहस्य, चन्द्रिका चन्द्र सङ सोझरबैछ?

    प्रेमक पवनक झोंके नभ-घन-खिड़की खुजि झाँकी झलकबैछ

    अद्भुत—खन सूची-वेधित अन्धकार, जगमगा गेल झट तड़ित तार

    खन घन-पट पसरल समटि देल, जादूगर पवन पसारि खेल

    शान्त—विकसित होयत जखनहि प्रभात, सिहकय लागत मलयक बसात

    तिमिरक परदाके चीरि उदित, सत रविक किरण अगजग द्योतित

    स्रोत :
    • पुस्तक : रचना संचयन (पृष्ठ 42)
    • संपादक : चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’/ शंकरदेव झा
    • रचनाकार : सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2012

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