मेरी उम्र के लड़के

meri umr ke laDke

शाश्वत

शाश्वत

मेरी उम्र के लड़के

शाश्वत

और अधिकशाश्वत

    मेरी उम्र के लड़के

    जो पढ़ने के साथ सोचते भी हैं

    सोचते हैं

    दोस्तों में बने रहने का तरीक़ा

    या कैसे हाथ मिलाएँ कि कुर्ते की फटी काँख दिखे

    तभी तो सहपाठी को भी

    हाथ जोड़कर आप कहते जाते हैं लड़के

    लड़के,

    महीने भर का हिसाब लगा कर पैसे वाले दिन

    अपनी दोस्त से मिलना चाहकर भी

    फ़ोन देखते ही स्क्रीन गार्ड पर आह भरते हैं

    मगर फिर,

    टूटी स्क्रीन के साथ साझा सेल्फ़ी ड्राइव में भेजते ही

    समय आने पर फ़्रेम कराने का सोचते हैं लड़के

    उठते बैठते,

    रंगीनियत आँखों में धँसाकर

    लड़के

    सपनो में इठलाते हैं

    वे सोचते हैं अपनी प्रेमिका को किसान

    जब गाँव मे आलू की मेढ़ काढ़ लेते हैं

    कि पी.ओ. में सलेक्शन सोचकर प्रेमिका को

    महँगी साड़ी में सोचते हैं

    रोज़ क्लॉस से लॉज की दूरी में

    नौकरी से इंटरव्यू देने तक को सोचते जाते हैं लड़के

    लड़के रात तक पूरा डेटा ख़र्च करने के बाद

    अपने सबसे धनी दोस्त को 'तुम' में संवादित कर

    ख़ुद में ख़ुश होते हैं

    कि मेरा बेटा भी होगा उसके जैसा ही

    सबका दोस्त

    और ऐसे ही सहज सीधा

    लड़के जो पढ़ने के साथ सोचते भी हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : शाश्वत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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