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मेरी कविताओं में तुम

meri kavitaon mein tum

आकाश वर्मा

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आकाश वर्मा

मेरी कविताओं में तुम

आकाश वर्मा

और अधिकआकाश वर्मा

    मेरी कविताएँ ही मेरी सब कुछ हैं

    जिनमें सब कुछ संजो रखा है मैंने

    और जब उन्हें सुनाता हूँ तुमको

    तो तुम्हें और निकट पाता हूँ

    इतना निकट कि

    जैसे बरसों से जानता हूँ

    ऐसे जानता हूँ

    जैसे अपनी साँसों को जानता हूँ

    जैसे आँखों से निकलने वाली रोशनी को जानता हूँ

    जैसे ख़ुशी का संबंध

    घटने वाली किसी अच्छी घटना से होता है—

    वैसे जानता हूँ

    मन में यह कभी नहीं आया कि

    तुम अभी-अभी आई हो

    मेरी कविताएँ

    मेरे बारे में तुम्हें सब कुछ बता देगीं।

    कविताएँ मेरा सच है

    कविताएँ मेरा धर्म हैं

    मेरी प्रतिबद्धता

    मेरे समर्पण के आख़िरी और सही प्रमाण हैं

    कविताएँ

    जिनमें धीरे-धीरे तुम रही हो

    तुम रही हो—मेरी दुनिया बदल रही है

    कि सब कुछ सही होता दिख रहा है

    सभी मौसम अपने समय पर आने लगे हैं

    हर फूल मुस्कुरा कर

    फिज़ा में एक ख़ुबसूरती छोड़ देता है

    तितली गाती हुई

    मेरे पास से गुजर जाती है

    बारिश की बूँदें मेरी आँखों को

    अमृत-सी तृप्ति दे रही हैं

    अब सूरज ठीक से उगता है पूरब में और

    पश्चिम में डूबता है ठीक से

    रास्ते भी अपनी मंजिल की ओर जा रहें हैं

    कि संसार का चक्र अब ठीक-ठीक चल रहा है

    एक बात तुम्हें बता दूँ—

    कोयल ने जो अभी-अभी गीत सुनाया

    उसमें तुम हो

    अब तक जीवन में कोई रंग नहीं था

    वह गुलाबी हो गया है

    और तुम्हें सुनाकर

    मेरे कविताओं की सार्थकता और बढ़ गई है

    स्रोत :
    • रचनाकार : आकाश वर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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