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मेरे कपड़े—मेरे जाने के बाद

mere kapDe—mere jane ke baad

मनीषा जोषी

मनीषा जोषी

मेरे कपड़े—मेरे जाने के बाद

मनीषा जोषी

और अधिकमनीषा जोषी

    नए कपड़े ख़रीदने के साथ

    अक्सर दिए जाते हैं कुछ अतिरिक्त बटन

    जिन्हें मैं हमेशा रख लेती हूँ सँभालकर।

    पुराने कपड़ों के कुछ निकले हुए बटन भी

    रखे रहते हैं मेरे पास।

    पता नहीं क्यूँ जमा करती हूँ

    मैं ये सारे बटन

    लेकिन अच्छा लगता है

    इन्हें रख लेना।

    बटन याद दिलाते हैं

    कुछ ऐसे पुराने कपड़े

    जो कब के ग़ायब हो चुके हैं

    जीवन से

    और फिर मैं ढूँढने लगती हूँ

    वे पुराने दिन

    बक्से में बंद कुछ पुरानी तस्वीरों में।

    कई बार सोचती हूँ

    क्या होगा मेरे कपड़ों का

    मेरे जाने के बाद?

    बटन का यह डिब्बा

    कभी किसी के हाथ में आएगा

    तब बिना कपड़ों की स्मृति के ये बटन

    कितने अर्थहीन होंगे

    यह मैं सोच भी नहीं सकती।

    मेरी नीली क़मीज़ का यह बड़ा-सा बटन

    कितना दूर चला जाएगा उस बाज़ार से

    जहाँ से ख़रीदी गई थी वह नीली क़मीज़

    और कितना क़रीब जाएगा मेरे शरीर से

    जो नहीं होगा उस बाज़ार में

    जो नहीं होगा उस बाज़ार की स्मृति में

    जो नहीं होगा स्मृतियों के किसी भी बाज़ार में।

    मेरे कपड़े किसी धोबी की दुकान में

    गर्म इस्त्री के नीचे करवटें बदलते हुए

    ज़िंदा रहेंगे शायद कुछ और वक़्त

    मेरे जाने के बाद

    तब उन कपड़ों पर लगे हुए बटन

    कितने अलिप्त दिखाई देंगे

    और मेरे कपड़ों की पत्ते-बूटों की

    डिजाइन भी दिखेगी कि

    तनी छलरहित।

    मेरे जाने के बाद

    प्रियजन देखेंगे मुझे तस्वीरों में

    कुछेक वक़्त तक

    और फिर नहीं रहेंगे वे भी

    लेकिन मुझसे मुक्त होकर

    कहाँ जाएँगे मेरे कपड़े!

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनीषा जोषी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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