तुम उसे अपना प्रियतम चुनना

tum use apna priyatam chunana

अंशू कुमार

अंशू कुमार

तुम उसे अपना प्रियतम चुनना

अंशू कुमार

और अधिकअंशू कुमार

    तुम उसे अपना प्रियतम चुनना

    जिसे शर्मिंदगी हो

    भरे बाज़ार में तुम्हारा हाथ थामने से

    जो चूम ले तुम्हारे माथे को सरेआम

    और कह दे ज़माने से कि

    उसे गर्व है तुम पर

    तुम प्रेम उसी से करना

    जो तुम्हारे होने को जान सके

    तुम्हारे होने को स्वीकार कर सके

    जो समझ सके तुम्हारे संवेदनाओं को

    तुम्हारा होना या होना

    जिसको महसूस हो,

    जिसको साथ का एहसास हो

    तुम प्रेम उसी से करना

    जो सिर्फ़ बड़ी-बड़ी बातें करे

    जो मामूली से मामूली काम में साथ हो

    और जिसको यह करते हुए भान हो

    कि वह है दुनिया के बाक़ी मर्दों से अलग

    या फिर प्रोग्रेसिव,

    सहजता हो जिसके व्यवहार में

    प्रेम उसी से करना जिसको इंसानियत पर भरोसा हो

    जो खुलेपन को ज़िंदगी मे जगह देता हो

    जिसमें स्वीकार्यता का बोध हो

    जो इमोशनल होने पर समझे

    कि सब कुछ प्रैक्टिकल तरीक़े से नहीं होता तय

    जो सामाजिक कुरीतियों को सिर्फ़ समझे

    बल्कि उसका विरोध भी पुरज़ोर करे

    जो तुमको इंसान के रूप मे प्रेम कर सके

    जिसे भरोसा हो तुम पर

    जो जानता हो ज़िंदगी ख़ूबसूरत बनाना

    समानता, अपनत्व और सहयोग से

    प्रेम तुम उसी से करना

    साथी तुम उसे ही चुनना।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अंशू कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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