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मरलिन मनरो के लिए प्रार्थना

marlin manro ke liye pararthna

अर्नेस्तो कार्देनाल

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अर्नेस्तो कार्देनाल

मरलिन मनरो के लिए प्रार्थना

अर्नेस्तो कार्देनाल

और अधिकअर्नेस्तो कार्देनाल

    प्रभु

    स्वीकार करो इस लड़की को जो सारी दुनिया में मरलिन मनरो—

    कही जाती थी

    हालाँकि उसका नाम यह नहीं था

    (लेकिन प्रभु, आप जानते हो उसका असली नाम,

    उस अनाथ का जो नौ साल की उम्र में बलात्कार की शिकार हुई,

    दूकान में नौकरी करती वह लड़की जिसने सोलह की होने पर

    ख़ुदकुशी की कोशिश की थी)

    और जो अब जा रही है आपके हज़ूर में, बग़ैर मेक-अप के,

    बग़ैर अपने प्रेस एजेंट के

    बग़ैर अपनी तस्वीरों के, बग़ैर कोई आटोग्रॉफ़ दिए

    एकाकी, जैसे कोई अंतरिक्ष यात्री जाता है

    अनन्त के अंधकार में।

    जब वह बच्ची थी उसने सपने में देखा

    ('टाइम' पत्रिका के मुताबिक)

    कि वह एक चर्च में नग्न खड़ी है

    ज़मीन पर लोटती अपार भीड़ के सामने

    और लोगों के सर बचाने के लिए

    उसे चलना पड़ रहा है पंजों के बल।

    प्रभु, आप हमारे सपनों को

    मानसिक चिकित्सकों से ज़्यादा अच्छी तरह जानते हो।

    चर्च, घर या गुफा सबके सब कोख की सुरक्षा के प्रतीक हैं,

    बल्कि इससे भी अधिक कुछ हैं...

    यह तो साफ़ है कि ये प्रशंसकों के सर हैं (पर्दे पर जाती रोशनी—

    की शहतीर के नीचे अँधेरे में मार तमाम सर )।

    लेकिन मंदिर ट्वेंटिएथ सेंचुरी फ़ॉक्स का स्टूडियो नहीं है।

    सोने और संगमरमर का यह मंदिर

    उसकी देह का मंदिर है जहाँ आदम का बेटा

    हाथ में कोड़ा लिए खड़ा है

    ट्वेंटिएथ सेंचुरी फ़ॉक्स के बनियों को खदेड़ता हुआ

    जिन्होंने प्रभु, तुम्हारे प्रार्थना-घर को

    चोरों के अड्डे में बदल दिया है।

    प्रभु,

    इस संसार में जो कि रेडियोएक्टिविटी और पाप से

    अपवित्र है, आप निश्चय ही दूकान पर बैठने वाली

    उस लड़की को दोष दोगे

    जिसने (ऐसी किसी भी लड़की की तरह)—

    स्टार बनने का स्वप्न देखा था।

    और उसका स्वप्न 'वास्तविकता' बन गया

    (एक टेक्नीकलर वास्तविकता)

    उसने यही किया कि हमने अपनी ज़िंदगियों की

    जो पटकथा उसे दी

    वह चलती रही उस पर लेकिन उसमें कोई अर्थ नहीं था।

    क्षमा करो प्रभु उसे और क्षमा करो हम सबको

    अपनी इस ट्वेंटिएथ सेंचुरी के लिए

    और उस विशाल सुपर प्रोडक्शन के लिए—

    जिसके निर्माण में हम सब शरीक़ रहे।

    वह प्यार चाहती थी और हमने उसे नींद की गोलियाँ दीं।

    उस ग़म था हमारे संत होने का और उसके लिए—

    सुझाये गए मनोविश्लेषण के नुस्ख़े

    याद करो प्रभु, कैसे वह कमरे से डरने लगी थी

    कैसे मेक-अप से उसकी घृणा बढ़ती गई

    (और तब भी हर दृश्य में ताज़ा मेक-अप कराने की उसकी ज़िद)

    कैसे बढ़ा उसका आतंक

    और कैसे होती गयी वह स्टुडियो पहुँचने में लापरवाह।

    दूकान पर नौकरी करती किसी भी लड़की की तरह

    उसने स्टार बनने का स्वप्न देखा था

    और उसका जीवन उतना ही अवास्तविक था जितना

    एक स्वप्न जिसकी जाँच मनोविश्लेषक

    करता है और अपनी रिपोर्ट बनाता है।

    उसके प्रेम आँखें मूँद कर दिए गए चुंबन थे

    जो जब आँखें खुलती हैं तो दिखता है

    कि वे तेज़ स्पाटलाइटों के नीचे किए गए थे

    स्पाटलाइटें बुझा दी गई हैं

    और कमरे की दोनों दीवालें (वह एक सेट था) उखाड़ दी गई हैं

    और हाथ में नोटबुक लिए निर्देशक जा रहा है—

    सीन ठीक-ठाक शूट करने के बाद,

    या फिर वे एक नौका विहार की तरह थे,

    एक चुंबन सिंगापुर में एक नाच रियो में,

    एक जश्न विंडसर के ड्यूक और इचेस के महल में

    एक सस्ते फ्लैट की मनहूस तड़क-भड़क के बीच फ़िल्माए हुए,

    फ़िल्म ख़त्म हुई अंतिम चुंबन के बग़ैर ही।

    उन्होंने उसे अपने बिस्तर पर मृत पाया,

    हाथ में टेलिफ़ोन लिए हुए।

    जासूस कभी जान नहीं पाए कि वह—

    किससे बात करना चाहती थी

    लगता था जैसे किसी ने

    एक मात्र दोस्त आवाज़ को फ़ोन मिलाया हो

    और उधर से सुनाई दी हो पहले से टेप की हुई

    आवाज़ : 'ग़लत नंबर!'

    या जैसे डाकुओं के हमले से घायल कोई व्यक्ति

    लपका हो एक कटे हुए फ़ोन की तरफ़

    प्रभु वह जो भी रहा हो

    जिसे वह फ़ोन पर बुलाने जा रही थी

    पर नहीं बुला सकी (और शायद वह कोई भी था

    या कोई था जिसका नाम लास एजेंलिस की टेलिफोन पुस्तिका में

    दर्ज नहीं है)

    प्रभु, आप उस फ़ोन का जवाब दो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 311)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : अर्नेस्तो कार्देनाल
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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