मैंने महसूस किया
कि बेतरीन पोशाक
नयनसुख होने के पक्ष में
एक बेहतरीन खेल है
उस छरहरे बदन की
सोढ्सी के बगल में बैठकर
मुझे लगा कि मोहब्बत
और नसाफत जहाँ
कामियाब है और
शब्दों की चासनी
एक मिमियाते मेमने के
मासूम चेहरे में
बदल गई है मेरी संवेदना
वक़्त के हसीं सपने
दिखा देने के लिए सिर्फ़
लच्छेदार-मिठास-अट्ठाहस ही
काफ़ी नहीं है
जबकि हमारा स्वाद
पंच सितारा के दमकते जाम
का आदी हो गया है और दिन ही
अब उजाले का पर्याय नहीं होता
हमारे अहसास पल रहे हैं
रेस्ट्रा की भीनी गंध से सनी
प्लेट में
उस छरहरे बदन वाली सोढ्सी की
बगल में बैठकर
मैंने महसूस किया कि प्रेम
आलीशान होटल की सुविधा का
उपभोग करता है
जिसमे झूठ-फ़रेब-लानत सब
जायज़ है
यह सामियाने का रेशमी तिरपाल है
यानि रुपहला सपना
जिसने मुझे आधुनिक होने को
मज़बूर कर दिया है
इस वक़्त ये सोचना कितना दिलचस्प है
कि मेरे साथ की टेबल पर बैठा
अधेड़ कैसे उत्तजना से भर गया है
उसे स्खलन का डर सता रहा है
मेरे हाथ सोढ्सी की जाँघो पर
घूम रहे हैं अंतहीन यात्रा के लिए
उसकी आँखें वासना में डूबी हैं
अधखिली कली के यौवन सी
उसके वक्ष की गति लयबद्ध है
और साँसे उखड रही हैं
उस सोढ्सी के बगल में बैठकर
मुझे लगा कि हाँफते हुए
वक्ष के कम्पन्न सुनना
कामुकता नहीं इन्सान की नज़ाकत है
और मेरे भीतर एक शातिर
वहसियाना दिमाग़ है जो
उकसाता है उस
सोढ्सी के बटन खोलने को
- रचनाकार : संदीप तोमर
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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