मैं तुम्हारे लिए

main tumhare liye

वत्सला पांडेय

वत्सला पांडेय

मैं तुम्हारे लिए

वत्सला पांडेय

और अधिकवत्सला पांडेय

    हर सुबह, दोपहर, शाम और रात

    लिखना चाहती हूँ

    एक प्रेम भरा ख़त

    हर ख़त में लिखना चाहती हूँ

    सिर्फ़ और सिर्फ़ इतना ही कि

    तुम सच में बहुत अच्छे हो...

    जब सुबह,

    तुम्हारे बेडरूम की खिड़की के काँच पर

    करवटें लेता हुआ, सिंदूरी सूरज अपनी किरणों से

    गुडमोर्निंग संदेश लिखेगा

    और तुम सिरहाने पर बजती हुई

    अलार्म क्लॉक को

    अधमुँदी पलके लिए बँद करोगे

    दस मिनट तक अपने तकिए से लिपटकर जब

    अलसाई करवटें भरोगे

    बेड पर सिलवटों से भरी चादर पर

    तुम अपने आई-फ़ोन

    लैपटॉप सहित ज़रूरी काग़ज़ात बिखरे रहने दोगे

    ये देखकर मैं तब भी यही लिखूँगी

    तुम सच में बहुत अच्छे हो...

    दोपहर के

    चटकीले सूरज का ताप जब

    पसीने की बूँद बनकर

    तुम्हारे माथे से टपकने वाला होगा

    और उसे तुम अपने रुमाल से पोंछकर

    अपनी शर्ट की जेब में संभालकर रख लोगे

    अपनी गाडी को ड्राइव करते हुए

    रुकोगे जब शहर के

    किसी चौराहे की लालबत्ती पर

    और ग्रीन लाइट होने का करोगे

    बेचैन होकर इंतज़ार

    इस दो या तीन मिनट के इंतज़ार में

    डालोगे निगाह कई बार अपनी रिस्ट वाच पर

    झाकोगे साइड व्यू मिरर को

    उँगलिया थिरकाओगे स्टेयरिंग पर

    मैं तब भी यही लिखूँगी

    तुम सच में बहुत अच्छे हो...

    शाम और रात के दोनों ख़त, मैं कोरे छोड़ दूँगी

    जानते हो क्यों

    क्योंकि अब तक

    इन दोनों ख़त के कोरेपन

    आदी बन चुके होंगे

    मेरे प्रेम से लिखे हुए इन शब्दों के कि

    तुम सच में बहुत अच्छे हो

    तुम बिना लिखे हुए ही

    इन दोनों खतों में पढ़ लेना

    मेरे प्रेम से लिखे हुए तमाम शब्द

    तुम महसूस करना उन शब्दों में

    मेरे होंठो के नम स्पर्श को, मेरी दिल की धड़कनो को

    तुम उस ख़त के जवाब में

    भले ही कोई ख़त लिखना

    पर नए दौर के इस चलन में

    मुझे कोई संकेत ज़रूर समझा देना कि

    तुमने पढ़ लिए है मेरे प्रेम से भरे ये सारे ख़त

    मैं उन संकेतों से

    तुम्हारे प्रेम की तासीर को शिद्दत से महसूस करूँगी

    और फिर जी लूँगी प्रेम की एक लंबी उम्र

    तब मैं फिर से यही लिखूँगी

    तुम सच में बहुत अच्छे हो...(वत्सु)

    स्रोत :
    • रचनाकार : वत्सला पांडेय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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