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मैं मरणासन्न हूँ

main marnasann hoon

संदीप तोमर

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संदीप तोमर

मैं मरणासन्न हूँ

संदीप तोमर

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    मेरी ज़िंदगी की बर्बादी में 

    मात्र मेरे कर्मो का लेखा-जोखा नहीं

    उसमे तमाम वो क़िस्से है जो 

    करते रहे ज़मीन को बंजर

    जो रसायन और दवाओं के 

    आतंक से नहीं बचा पाए 

    उर्वरा ज़मीन को।

    इसलिए तुम मुझसे सलाह लेने 

    मत आना कभी भी 

    क्योंकि मैं जो ख़ुद 

    मरणासन्न हूँ वर्षों से 

    तुम्हे कैसे सलाह दूंगा 

    जीने की, सफल होने की

    मेरी ख़ुद की बर्बादी में 

    क़ैद है वर्षों की दुर्गंध 

    सडे गले विचारो की

    और क़ैद है मेरा बचपन

    इसलिए एक काम करना तुम 

    ख़ुद के दिल की सुनना

    और लगाना अंदाजा

    आगे की पीढ़ियों की 

    सिसकारियों का 

    मैं तो विरोध भी नहीं कर सका

    उन तमाम वर्जनाओं का 

    जो लाद दी गई थी 

    मेरी झुकी हुई पीठ पर

    पर तुम पूछना उनसे 

    जो समाज के कर्णधार थे

    कि क्यों नहीं पनपने दिया 

    जीवन ही उन ज़िंदा लाशों में 

    जो क़ैद थी अपनी की क़ब्र में 

    और विचरण करती थी

    शरीर दर शरीर, आत्मा दर आत्मा

    क्योंकि मैं तो अब मरणासन्न हूँ

    लेकिन तुम्हे तो जीना है 

    एक भरपूर जीवन।

    स्रोत :
    • रचनाकार : संदीप तोमर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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