Font by Mehr Nastaliq Web

रात

raat

अनुवाद : सुरेश सलिल

सोओ, मेरे बच्चे, तुम्हारे ही लिए

पश्चिमी आसमानों ने पोंछ दी है अपनी रोशनी;

ओस के सिवा कहीं कोई चमक नहीं,

ही कोई सफ़ेदी मेरे चेहरे के सिवा।

मेरे नन्हे मुन्ने, चूँकि तुम स्वप्नमग्न हो,

रास्ता चुप्पी साधे लेटा है, आंशिक रूप से खुला हुआ,

नदी के सिवा कहीं कोई मरमर नहीं;

मैं ही हूँ अकेली एक निद्रा-लोक में।

एक महसूस कुहासा छाता हुआ ख़ामोश धऱती पर,

धुँधले आसमानों में विलीन होती हुई एक उदास आह;

धरती पर एक चुप्पी पसरी हुई

जैसे कि धीरे-धीरे सहलाता हुआ कोई कोमल हाथ।

अकेले अपने ही बच्चे के लिए मैंने लोरी नहीं गाई

झूला झुलाते हुए; कि वह मीठी नींद सो सके;

धरती भी मेरे झूले के झूँकों के साथ

गहरी नींद में बेसुध हो गई।

स्रोत :
  • पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 95)
  • रचनाकार : गैब्रिएला मिस्ट्राल
  • प्रकाशन : मेधा बुक्स
  • संस्करण : 2003

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY