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किये गबै छी गीत अनसोहाँत

kiye gabai chhi geet ansohant

अंशुमान सत्यकेतु

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अंशुमान सत्यकेतु

किये गबै छी गीत अनसोहाँत

अंशुमान सत्यकेतु

और अधिकअंशुमान सत्यकेतु

    भाइ

    अहीँ तँ कहने रही

    ड्रेको हम्मुराबीक खिस्सा

    'सठे साठ्यम समाचरेत्'

    आइ की भऽ गेल जे

    पलटि देलियै बात अपन

    एना तँ नहि जे

    इतिहासक पन्ना छिहलि गेलैये

    वा कौआ सभटा

    भऽ गेलैये नीलकंठ

    भाइ

    जेँ पृथ्वी नाचि रहल अछि

    तेँ लोक नचैये नंगटे आइ

    भतरोइयाँ सभ

    भऽ जाइये कारी भुजुंग

    अघोषित कोनो युद्धक भूमिका लिखैत

    हेर अबैत रही अहाँ

    जिनगीक साँच

    कखनो धरतीपर

    तँ कखनो मंगल ग्रहक माटिपर

    की सत्य नहि

    युद्धो लड़ैये लोक शांतिक लेल

    जेना चिड़ै

    जकरा चढ़ा बाँसक छिप्पीपर

    रचैत रही अहाँ सृजनक गीत

    भाइ

    कोना कहू अहाँक वेदनाक निमित्त

    मुदा कते दिनधरि

    उघैत रहबै स्मृतिक लहास

    कान्हपर

    दाना माँझी बनि

    अहीँ तँ कहने रही

    बन्न मुट्ठीमे होइ छै आगि

    किये तखन खोलि देलियै अपन मुट्ठी

    बिलहि देलियै सभ धाह उत्तेजनाक

    किये पझाय देलियै ओहि आँचकेँ

    सक्कत

    निस्सन

    कनी आर कठगर सन

    भाइ

    मानल जे जिनगीक अन्त थिक मृत्यु

    मुदा कोना बिसरि गेलियै

    गछने छलियनि अहाँ पाशकेँ

    जिनगीक ओरियाओनक मादे

    नेरुदाकेँ

    जे दऽ गेल छला अहाँकेँ

    मुट्ठी भर तप्पत आखर

    कवितामे क्राँतिक गरमाहटि सलेटबा लेल

    बुद्ध सेहो अहीँकेँ देने छला

    अपन प्रतिहिंसाक अस्त्र

    की कहबनि हुनका सभकेँ

    कियैक गबै छी अन्तक गीत

    भाइ

    के कहैये हमर-अहाँक छाह

    छिटकि जाइत छै दूर

    बहुत दूर

    अन्हारसँ निकलि

    कनी इजोरमे आबिकऽ तँ देखियौ

    हमरा सभ अहाँक छाह बनि

    ठाढ़ भऽ जायब

    कन्हेठ लेब सभ वेदना अहाँक

    जिनगीक पालो जेना

    जिनगीक पालो जेना।

    (भाइ अजित आजादकेँ समर्पित)

    स्रोत :
    • पुस्तक : एखन धरि (पृष्ठ 109)
    • रचनाकार : अंशुमान सत्यकेतु
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2018

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