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कितना ज़रूरी है एक पिता होना

kitna zaruri hai ek pita hona

अरविंद यादव

अरविंद यादव

कितना ज़रूरी है एक पिता होना

अरविंद यादव

और अधिकअरविंद यादव

    एक पिता बनकर समझ पाया हूँ

    पहाड़ की उस अंतहीन गुरुता को

    महसूस रहा हूँ उस अप्रत्याशित दबाव को

    जिसे बिना उफ़ किए पिता

    उठाए रहे ताउम्र अपने कंधों पर

    ताकि उसका रंचमात्र भी दबाव

    कुचल दे कहीं

    मुझे और मेरे अरमानों को।

    एक पिता बनकर समझ पाया हूँ कि

    तय करते हुए जीवन का लंबा सफ़र

    जब कभी बाँहें फैलाए सुरंगों ने

    जकड़ लिया पिता को

    उस समय भी उन्होंने

    मुझे नहीं होने दिया एहसास

    उस अँधेरे का

    चाहे उसके लिए उन्हें

    भले ही लेनी पड़ी हो उधार

    मुट्ठी भर रोशनी जगमगाती अट्टालिकाओं से

    एक पिता बनकर समझ पाया हूँ

    कि कैसे लाए होंगे पिता

    ख़रीदकर बाज़ार से ढेर सारी ख़ुशियाँ

    सुलाकर अपनी अनंत इच्छाएँ भविष्य की गोद में

    कैसे लाए होंगे रंग-बिरंगे खिलखिलाते फूल

    छुड़ाकर ख़ुद को उन काँटों की पकड़ से

    जिन्होंने खींचा होगा उन्हें अपनी ओर

    किसी ने बाँहे तो किसी ने कमर और पैर पकड़कर

    एक पिता बनकर समझ पाया हूँ

    कि जलता रहे आँगन का चूल्हा

    शायद यही सोच

    कैसे निकल जाते थे पिता

    पास के बग़ीचे की चिड़ियों को बिना बताए

    माँगने को सूरज से थोड़ी आग

    जिसके बदले सूरज उनकी पीठ पर सवार हो

    करता था पूरब से पश्चिम की यात्रा

    एक पिता बनकर समझ पाया हूँ

    कि कितना मुश्किल होता है

    लड़खड़ाती इच्छाओं को उँगली पकड़ सँभालना

    कितना मुश्किल होता है

    जवान होते सपनों को उन्मुक्त अंबर में उड़ने को पंख देना

    तब जब निराला की यह पंक्ति,

    धिक् जीवन को जो पाता ही आया विरोध

    हाथ पकड़ चलती रही हो उनके साथ

    साँसों के सोने तक

    एक पिता बनकर समझ पाया हूँ

    कि कैसे पिता सागर की तरह लुटाते रहे रत्न

    सह कर मंथन की पीड़ा

    कैसे बरगद की भाँति फैलाए रहे अपनी छाँव

    सहकर स्वयं सर्दी, गर्मी और वर्षा

    कैसे चट्टान की भाँति खडे़ रहे मेरे आगे

    झेलने को जीवन के तमाम झंझावात

    एक पिता बनकर समझ पाया हूँ

    कि करने को पिता की सोच से संवाद

    महसूस करने को उनके हृदय में छुपे वह अनगिनत भाव

    और उन भावों की हक़ीक़त

    कितना ज़रूरी है एक पिता होना।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अरविंद यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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