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लोकतांत्रिक न्यायाधीश

loktantrik nyayadhish

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

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बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

लोकतांत्रिक न्यायाधीश

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    लॉस एंजिल्स में, अमेरिकी नागरिकता के आवेदनकर्ओंता की

    जाँच करनेवाले न्यायाधीश के सामने पेश हुआ

    एक इतालवी रेस्तराँ-मालिक।

    गंभीर तैयारियों के बावजूद अड़चन आई

    हालाँकि वजह नई भाषा जानना थी।

    परीक्षा में उससे पूछा गया : आठवाँ संशोधन क्या है?

    1492—लड़‌खड़ाती जुबान में उसने जवाब दिया।

    क़ानून की माँग है कि प्रार्थी को भाषा आनी चाहिए,

    लिहाज़ा उसका आवेदन ठुकरा दिया गया।

    तीन महीने तक और पढ़ाई करने के बाद वह दुबारा लौटा

    तो फिर नई भाषा जानने की ही अड़चन आई।

    इस बार उससे पूछा गया : गृहयुद्ध में किस जनरल की जीत हुई थी?

    उत्तर था (संयत, किंतु ऊँची आवाज़ में): 1492

    फिर वापस लौटा दिया गया उसे,

    और तीसरी बार उसके सामने सवाल आया :

    हमारे यहाँ के निर्वाचित राष्ट्रपति का कार्यकाल क्या है?

    फिर वही जवाब : 1492

    अब न्यायाधीश ने, चूँकि वह आदमी उसे पसंद आया,

    महसूस किया, कि बेचारा। नई भाषा नहीं सीख पाया!

    दर्याफ़्त किया कि अब तक वह अपनी रोज़ी-रोटी कैसे कमाता रहा?

    कड़ी मेहनत के ज़रिए!—तुर्त-फुर्त जवाब मिला।

    लिहाज़ा चौथी बार हाज़िर होने पर

    न्यायाधीश ने उससे पूछा: अमेरिका की खोज कब की गई थी?

    और इसका सही जवाब— 1492— पाकर

    उसे अमेरिकी नागरिकता प्रदान कर दी गई।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 157)
    • रचनाकार : बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
    • प्रकाशन : मेधा बुक्स
    • संस्करण : 2003

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