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झहरैत रहत सिंगरहार

jhahrait raht singarhar

मेनका मल्लिक

अन्य

अन्य

मेनका मल्लिक

झहरैत रहत सिंगरहार

मेनका मल्लिक

और अधिकमेनका मल्लिक

    एकटा अबोध बालमोन

    बिनु जनितहुँ अहाँक रीति-रेवाज

    रहैक नहि

    अहाँकेँ चिन्हबाक परिपक्वता

    तैयो

    पकड़ि लेलक अहाँक हाथ

    बहरा गेल अहाँक संग

    अहीँक विश्वासपर

    काँट भरल बाटपर।

    ने ढोल ने पिपही

    ने पुरहित ने मंत्र

    ने साँकर ने चुमाओन

    ने नयना-योगिन ने उबटन

    ने भोज ने भात

    ने मरजाद ने गीतनाद

    कतहु किछु ने...किछु कतहु ने

    मात्र अहाँ हम

    हम अहाँ

    दुनू गोटेक मंत्र

    अहाँ बाजल रही—

    मोनक भाखासँ नमहर कोनो मंत्र नहि

    मोनक मिलबसँ नमहर कोनो यंत्र नहि।

    नव ऊर्जा भेटल अहाँक संग

    जिनगी जीबाक

    सिखलहुँ नव-नव शिल्प

    कान्ह मजगूत भेल

    दायित्व उठयबा लेल

    बाटपर झहरऽ लागल सिंगरहार

    एहि पचीस बरखक यात्रामे।

    मानू प्रिय!

    एहिना झहरैत रहत सिंगरहार

    अपना दुनूक सहयात्रामे

    बाटे-घाटे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : गेल्ह सब झाड़ैत अछि पाँखि (पृष्ठ 91)
    • रचनाकार : मेनका मल्लिक
    • प्रकाशन : चतुरंग प्रकाशन
    • संस्करण : 2017

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