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जन्म

janm

मानस भारद्वाज

और अधिकमानस भारद्वाज

    यह कविता मुझे आज से

    सात महीने पहले लिखनी थी

    जब मैने पहली बार बच्चे को

    सोनोग्राफ़ी में देखा था

    उसका माथा कुछ-कुछ

    मेरी तरह था

    मेरा माथा

    मेरे पिता की तरह है

    मैने यह कविता नहीं लिखी थी

    क्योंकि मैं इतना अंधविश्वासी हूँ

    कि मुझे लगता है अगर कोई

    कविता अधूरी लिखूँ

    तो उसे पूरा नहीं कर पाता कभी

    (यहाँ तो सवाल बच्चे का था!)

    मुझे यह भी लगता है कभी-कभी

    मेरी कोई भी कविता

    कभी पूरी नहीं हुई

    मुझे लगता है ज़िंदगी सर्किल में चलती है

    उनतीस जनवरी दो हज़ार एक को

    पिता की मौत हुई थी

    उस दिन वसंत पंचमी थी

    जब मेरा बच्चा पैदा हुआ

    उस दिन वसंत पंचमी को आने में

    एक दिन बचा था

    वह वसंत पंचमी से एक दिन पहले

    पैदा हुआ

    पिता वसंत पंचमी को मरे थे

    और उससे एक दिन पहले लौट आए

    हालाँकि इस लौटने में

    तेईस साल लगे

    पर ये तेईस साल मुझे

    किसी एक दिन से ज़्यादा नहीं लगे

    मैंने शुरू से कहा है

    हमें समय और दूरियों को मापने के लिए

    किसी और मीटर की ज़रूरत है

    मुझे यह भी लगा कि

    पिता मरे एक दिन बाद में

    या ज़िंदा एक दिन बाद में हुए

    या ज़िंदा हुए एक दिन पहले

    और इस एक दिन के बीच में

    तेईस साल गुज़र गए... ख़ैर

    ज़िंदगी सर्किल में चलती है

    मुझे पहली बार समझ में आया

    बच्चे को बाप क्यों कहा जाता है

    क्योंकि वह बाप के मरने के बाद

    बाप को ज़िंदा रखता है

    आज तक कोई भी बाप मरा नहीं है

    आज तक कोई भी बच्चा पैदा नहीं हुआ

    स्रोत :
    • रचनाकार : मानस भारद्वाज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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