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इन दिनों

in dinon

मीनाक्षी जिजीविषा

अन्य

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और अधिकमीनाक्षी जिजीविषा

    दिखाई नहीं देते उसे

    फूल के रंग काँटे

    इन दिनों

    जून के महीने में भी

    महसूस नहीं होती उसे

    बदन पर धूप की चुभन

    खेलती नहीं वह

    उस पत्थर पर

    जिससे राह चलते-चलते

    ठोकर लगी है उसे अभी-अभी

    नाराज़ नहीं होती वो

    अपने परायों की चालों पर

    इन दिनों

    शिकायत भी नहीं रही उसे

    अभागे और दुःखों की

    इन दिनों

    परवाह नहीं करती वह

    पर्वत के कड़े तेवरों की

    इन दिनों

    उमंग से भरी पुलक से भरी

    उड़ती है हवा के संग

    महकती है फूल के संग

    लहराती है लहर के संग

    इन दिनों

    प्रेम आकंठ में डूबी है वो

    स्रोत :
    • रचनाकार : मीनाक्षी जिजीविषा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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