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झड़ते बाल

jhaDte baal

श्रेया शिवमूर्ति

और अधिकश्रेया शिवमूर्ति

    अगर कंघी करने के बाद फ़र्श पर बिखरे बाल हटाओ तो

    हर दिन झड़ते बाल कुछ ही दिन में फ़र्श को ढ़क सकते हैं

    जैसे मन में आने वाले अनगिनत विचारों का सैलाब

    समय रहते नज़रअंदाज़ किया जाए तो मन व्याकुल रहता है

    ऐसा-वैसा नहीं, गहन विचार-निरंतर विचार

    अपनी क्षमता से परे विचार

    संभावनाओं की सीमाएँ लाँघता विचार

    निरंतर आते-जाते विचार मन को परत दर परत

    किसी अनदेखी अनहोनी की खाई में खींचता जाता है

    जो मन को विचलित करते हैं

    जैसे बालों के लगातार झड़ते रहने से सिर पर बालों की कमी हो जाती है

    वैसे ही विचारों की लगातार वर्षा स्पष्टता को ढ़क देते हैं

    विचारों में स्पष्टता की कमी से

    व्यक्ति का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है

    अपने आस-पास की व्यवस्थित चीज़ों से अप्रभावित रहता है

    बाहरी जीवन में वो दिखता व्यवस्थित ही है

    जैसे बाहरी बनावट से कभी-कभी छुप जाती है बालों की विरलता

    तो कभी-कभी चेहरे को सुंदर दिखने के लिए

    तरह-तरह के प्रयोग किए जाते हैं

    जैसे विग, हेयर ट्रांसप्लाँट आदि

    ऐसे ही विचारों की अव्यवस्था छुपाने के लिए भी कईं प्रयोजन किए जाते हैं

    लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है विचारों का धारा प्रवाह आवागमन प्रतिबंधित करना

    स्रोत :
    • रचनाकार : श्रेया शिवमूर्ति
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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