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इकलौते भाई की बहनें

iklaute bhai ki bahnen

विधान गुंजन

अन्य

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विधान गुंजन

इकलौते भाई की बहनें

विधान गुंजन

और अधिकविधान गुंजन

    वे बेटे की चाह में जन्मी बेटियाँ थीं

    संसार में बाती बन आईं

    जो चिराग बनने से चूक गई थीं।

    उन्हें मालूम था

    कि उसकी माँ कई बेटियों को जन्म देकर भी

    ख़ुद को बाँझ समझती रही।

    अपने भाई के जन्म लेने तक,

    किसी अपराधी की मानिंद रहीं वे,

    अपने ही जन्म लेने के जुर्म में।

    एक दिन जब भाई ने ले ही लिया घर में जन्म,

    तो बहनें बहुत ख़ुश हुईं।

    बारी-बारी से सभी बहनों ने किया उसका शुक्रिया अदा—

    संसार में उसके देर से आने का!

    वे जानती थीं

    कि उनके पिता और माँ ने नहीं, बल्कि

    उनके इस नवजात भाई के संसार में देर से आने

    की वजह से हुआ था उनका जन्म।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विधान गुंजन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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