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इच्छाएँ

ichchhayen

सावजराज

सावजराज

इच्छाएँ

सावजराज

और अधिकसावजराज

    अगली बार मत रखना प्रेम के लिए अभिशप्त

    कि बाँहें फैलाऊँ और टकराए

    वही आदिम उत्पीड़क गर्म हवा

    कि बार-बार कोई भी जिस्म झेल नहीं पाता

    वही सदियों पुरानी यातना

    (…मेरे ख़्वाबों का ख़याल रखना अगली बार

    कि मैंने बाँहें कुछ और भरने के लिए फैलाई हैं।)

    अगली बार मत रखना प्यासा मुझे

    होंठ खोलूँ और पानी उन्हें ठंडा कर दे

    कि होंठ सिर्फ़ पानी की प्यास बुझाने के लिए ही नहीं खुलते

    होंठ प्यार की मिठास चखने के लिए होते हैं

    तो गोया उन होंठों पर होंठ ही रख देना

    (…कच्छी केसर का अम्भफल बनाना अगली बार

    कि जिसे कोकिल-सी कन्याएँ अपने होंठों से चूस लें।)

    अगली बार इतना अहंकारी, आत्ममुग्ध मत बनाना

    कि आईने में अपना ही प्रतिबिंब देखकर इतराता रहूँ

    छवि अरीसों में नहीं सजण की आँखों में देखी जाती है

    आँखों में बराबर हँसी और आँसू देना

    और उन्हें बाँटने को किसी प्रणयिनी का साथ देना

    (…अगली बार पखेरू बनाना, मनुष्य मत बनाना

    कि इस दुनिया में मनुष्यों के प्रेम करने के लिए जगह नहीं बची है।)

    स्रोत :
    • रचनाकार : सावजराज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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