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हम अहिना रहब

hum ahina rahab

अरुणाभ सौरभ

अन्य

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अरुणाभ सौरभ

हम अहिना रहब

अरुणाभ सौरभ

और अधिकअरुणाभ सौरभ

    (मित्र मिथलेश कुमार रायक लेल)

    मुँहमे पान नहि छै

    कोनो बात नहि

    एकटा पुड़िया कीनि फाड़िकऽ खा लेतै

    नुकाकेँ एकटा सिकरेटो पीबि लेतै

    नहि करतै चाकरी

    नोकरीक सुथनी खोसामद

    कहुना रहि जेतै

    दुःस्साध्य बेमारी, आर्थिक तंगी

    अल्हुआ सत्ती

    ठिठुआ देखाबैत

    एकटा जुमला पढ़तै—

    ...मराबय संसार

    हम सब बैसकऽ बजेबै सितार

    अनसिसकाक हँसी हँसतै

    जखन हँसैत छैक

    तँ सभ्य समाजक

    पैजामाक डोरी फुजि जाइ छैक

    कान नहि सेकैये

    कननाय ओकरा कायरता बुझबैछ

    कहियो बड्ड सुन्नर रहय

    देखने रही ओकर फोटो

    'वागर्थ' ' परिकथा'मे

    युवा छियै

    चिरयुवा

    नहि केलकै समूचा पढ़ायक कोर्स

    (एम. ए. दिल्ली विश्वविद्यालयसँ)

    रचैत रहलै कविता

    कि अपनाकेँ चोसैत रहलै

    बाँचैत रहलै कथा

    आकि सभटा अपन शोणित अपनहि पीबैत रहलै

    अपना बगयसँ

    खियाल पाड़ैत रहैत छैक

    कवि कर्मक जीवन-चर्या

    सहरसाक बजबजिया सड़क

    धूरा-गरदा-माटिमे

    दिल्ली बला अपन अधकट्टी पढ़ाय संग

    अगस्त मुनि जकाँ

    कोसीमे बहैत जा रहल

    मैथिल ललनाक नोर पीबि रहल छै...

    पछिला बरिसातसँ

    अइ बरिसात धरि...

    स्रोत :
    • पुस्तक : एतबे टा नहि (पृष्ठ 56)
    • रचनाकार : अरुणाभ सौरभ
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2017

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