हिंदी-अभिनंदन
hindi abhinandan
ममता की परिभाषा हिंदी, जन-जन की अभिलाषा हिंदी।
विश्व साहित्य के उद्यान का, पुष्प है एक खिला-सा हिंदी॥
सर्व गुणों की खान है हिंदी, राष्ट्र-गीत और गान है हिंदी।
यही प्रेरणा की परिचायक, मानवता की जान है हिंदी॥
भारतीयता का दर्शन हिंदी, जन-सेवा में अर्पण हिंदी।
अपने देश के हर व्यक्ति की, शिक्षा का है दर्पण हिंदी॥
समता और सफलता इसमें, शिष्टता और नम्रता इसमें।
मातृभाषा है यही भारती, जननी की सी ममता इसमें॥
यही दीप है अंतर्ज्ञान का, यही लक्ष्य आत्मसम्मान का।
तन-मन-धन और यही प्राण भी, यही तो दिल भारत महान का॥
यही एकता में अनेकता, भारत का सिरमौर यही है।
भाषाओं के कोष में इसका, सानी कोई और नहीं है॥
आओ! हिंदी की ताक़त से, अँग्रेज़ी का भूत भगाएँ।
और इसी से प्रेरित होकर, यही नवचेतना दिल में लाएँ॥
ज्ञान के इस प्रकाश पुञ्ज से, दूर अज्ञान का अँधकार हो।
हर सेवा में काम-काज का, केवल हिंदी ही आधार हो॥
संस्कृत सुता राष्ट्रभाषा को, बार-बार मेरा कर वंदन।
क्षेत्रिय भाषाओं की जननी, तुझको है शत्-शत् अभिनंदन॥
- रचनाकार : विजयपाल सिंह बीदावत
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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