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हर मनुष्य को आधी सदी मिली है

har manushya ko aadhi sadi mili hai

पावेल मातेव

अन्य

अन्य

पावेल मातेव

हर मनुष्य को आधी सदी मिली है

पावेल मातेव

और अधिकपावेल मातेव

    आधी सदी काम, कामना और हृदय के लिए मिली है

    आधी सदी मिली है पैग़ंबर के संदेशों को।

    आधी सदी।

    और कितनी ही आधी सदी मिली

    प्रत्येक कला को

    आधी सदी

    आकाश और जल भरें तुम्हारी नदियाँ

    आधी सदी

    धान्य, विचारों के पकने को।

    धरती पर तुम चलते

    पहले बच्चे बनकर—

    लेकर अबोध उत्सुकताएँ

    जब तक समय गुज़र नहीं जाता

    और बाल हो जाते श्वेत

    आधी सदी प्यार, वायदे, आमंत्रण को।

    आधी सदी यात्रा, मिलन, विदाई को।

    आधी सदी

    पॉपलर मोमबत्तियों को

    विस्मयादिबोधक हरी लौ उठाने को

    आधी सदी उनको चारों दिशाओं में

    साँस लेने को

    पश्चिम से पूरब तक और उत्तर से दक्षिण तक

    करुण आभा से झिलमिलाते नीले आकाश—

    आधी सदी के लिए

    जिनके बिना नहीं चलेगा तुम्हारा काम।

    लेकिन फिर समीप जाता

    आख़िरी मातम।

    बर्फ़ की मोटी चादर करती है प्रदान

    कुछ शांति

    और—अब ज़मीन में दबे तुम कहीं खो गए हो—

    मुझे डर है, हृदय के करुण प्रक्षेपों को

    तुम नहीं देख पाओगे उन चेहरों को

    जिन्हें प्यार किया तुमने

    और जो रो रहे होंगे तुम्हारी क़ब्र के पास

    सभी कुछ शांत

    चुपचाप समेट लोगे तुम

    अपने हाथ

    ठीक जैसे डाल लेते थे अपनी जेबों में तब

    जब ज़िंदा थे।

    यदि तुम्हारे गीत

    आधी सदी से अधिक रह गए जीवित

    तुम देखोगे अपने आपको

    एक दारुण यादगार के रूप में

    तुम प्रयत्न करोगे गाने का

    किंतु हाय! तुम में सब मूक रह जाएगा—

    ऐसा ही है विधान कला-कृतियों का।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बल्गारियाई कविताएँ (पृष्ठ 95)
    • संपादक : रमेश कौशिक
    • रचनाकार : पावेल मातेव
    • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

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