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गोया

goya

अनुवाद : रमेश कौशिक

मैं हूँ गोया

संत्रस्त समर-भूमि के ऊपर

दुश्मन मेरा उड़ा पहाड़ी कौओं जैसा

और कोटरों से मेरी आँखों को खींचा

मैं हूँ विषाद

मैं स्वयं युद्ध की अभिव्यक्ति हूँ

सन् उन्नीस सौ इक्तालीस के तूफ़ानों में

गोले गए जहाँ थे दाग़े मैं वह ध्वस्त नगर हूँ

मैं संत्रास भूख का

नंगे चौराहे पर लटकी

स्वांस-रुद्ध गर्दन हूँ मैं बूढ़ी औरत की

जिसकी देही घंटे जैसी झूली

मैं हँ गोया

अभिशापो

मैंने अपनी तोपें पश्चिम पर हैं दाग़ीं

बिना बुलाए गए अतिथि की मैं हूँ भस्मी

मैंने नभ के स्मारक में जैसे किसी कफ़न में

नक्षत्रों की कीलों को ठोका

मैं हूँ गोया।

गोया : (1756-1825) स्पेन का महान् चित्रकार जिसने युद्ध के आतंक और क्रूरता को अपने चित्रों में पूरी घृणा के साथ अभिव्यक्त किया।

स्रोत :
  • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 271)
  • रचनाकार : अंद्रेई वोज़्नेसेंस्की
  • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
  • संस्करण : 1975

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