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घर में मधुमक्खियाँ

ghar mein madhumakkhiyan

बलराम कांवट

बलराम कांवट

घर में मधुमक्खियाँ

बलराम कांवट

और अधिकबलराम कांवट

    हमने अपने बड़े-बूढ़ों से सुना था

    कि मधुमक्खियों को कभी घर में नहीं बैठने देना चाहिए

    उनके घर में बसने से घर उजड़ जाते हैं

    इसलिए जब भी

    घर के किसी हिस्से

    या आँगन में किसी पेड़ पर आकर छत्ता जमाती थीं मधुमक्खियाँ

    हम हाथों-पैरों और चेहरों पर

    कपड़े बाँधकर

    डंडों और झाड़ुओं से उन्हें खदेड़ देते थे

    जैसे वे आई थीं कहीं से बेघर होकर

    यहाँ से भी बेघर होकर चली जाती थीं

    किसी और जगह

    फिर से बेघर होने

    इस तरह वे इतनी खदेड़ी गईं पृथ्वी से

    कि पृथ्वी पर

    उनके लिए कोई घर नहीं बचा

    लेकिन उनके बिना

    मनुष्यों के घर तो बचने ही चाहिए थे

    जब याद करता हूँ

    अपने बड़े-बुज़ुर्गों की वह सीख

    और देखता हूँ अपना घर

    तो सोचता हूँ

    उन्होंने क्यों नहीं बताया

    मधुमक्खियों के नहीं होने से

    धरती उजड़ जाती है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : बलराम कांवट
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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