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गाम

gaam

कामिनी

अन्य

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कामिनी

गाम

कामिनी

और अधिककामिनी

    लोक कहैत अछि

    भारतक आत्मा/बसैत छै गाम मे

    ओहि गाम मे/जकर सड़क

    कोसी कमला सँ उधेसल

    माछक अपियारी जकाँ बुझना जाइत छै

    जकर छाबा भरि पानि

    नहि सुखाइत अछि सालोभरि

    शहर सँ घुमैत अछि

    अपना मोटरी मे/उम्मीद केँ बन्हने

    कोनो परदेसी पाहुन

    विद्यापतिक गीत गबैत

    'परसल माय पाय तुअ पानी'

    चुटकी भरि माटि केँ

    अपन माथ पर लगा लैत अछि

    की ओकर गामक माटि छियै?

    जाहि मे बसैत छै ओकर आत्मा

    जे ओकर पदचाप सँ परिचित छै

    जन्मक पहिल डेग सँ

    ओहि गाम में जकर नारोक टाल

    दहा गेलै बाढ़ि मे

    जाहि नारक पाँते-पाँते लोरहा करैत

    नंग-धरंग मुसहर टोलीक

    कोनो बच्चा

    पति परित्यक्ता कोनो यशोधिया

    अपना जीवनक अंकुर समेटैत छल

    पेटक आगि मिझबैत छल

    नहि बचल छै कत्तौ

    मालो जालक निंघेस लेल

    पुआरोक छबड़ा-छुबड़ी ढेरी

    जाहि पर दबकि कऽ बितबैत छल

    माघक जाड़

    गामक लबारिस कुकुर

    पहाड़ सन जाड़क राति मे

    कनैत अछि

    कोनो पुरना डीह पर

    कोनो अल्लूक बारी मे

    मार-मार केँ छुटैत छै लोक

    जरलाहा बिपत्ति केँ मनबैत अछि

    पहिनहि सँ कतेक बिपत्ति छै गाम मे

    ओहि गाम मे

    जतए बिपत्ति सँ मारल

    कते भारतमाताक इज्जति

    लागल छै दाव पर

    जतए एक द्रोपदीक चीर हरण करए लेल

    कतेक कौरवक हाथ अबैत अछि आगू

    परिजन पाण्डव बनि

    बस देखैत अछि

    की किछु नै कऽ सकैत अछि

    कतेक घरक कोन सँ अबैत अछि सिसकी

    कतेक रोटी मे सानल अछि नोर

    कतेक जाँत मे पिसाइत अछि

    गहुमक संग लोक

    कते भँवरीक आत्मकथा

    दबल रहि जाइत छै

    पुरान परल कागजक तर मे

    कतेक कुन्तीक कर्ण

    बहि जाइत छै/नदीक बेग मे

    ओहि गाम मे

    जतय बुढ़ि भेल माय

    जिनगीक साँझ बनल ठाढ़ अछि

    कोनो चौबटिया पर

    अपन ओहि बेटाक आस लेने घुरबाक

    जे बसिया रोटी लेने सनेस

    तप्पत भातक खोज मे

    हर गली हर घर मे ठोकर खा रहल छै

    कोनो दिल्ली/कोनो कलकत्ता

    कोनो शहरक कोन मे

    कतेक राधाक कन्हैया

    आमक गाछी मे भटक रहल छै

    जीवनक सुन्दर गीत सुनबा लेल

    जे पेट भरि अन्न

    देह भरि कपड़ा

    प्रसन्न पत्नीक

    प्रेम भरल आँखिक एक झलक

    नुकाएल हो जाहि मे

    खाकी कपड़ा मे

    दुपहिया साइकिल पर सबार

    डाकपिउनक आहट सुनै लेल

    तरसैत अछि कतेक कान

    कतेक बच्चा होली-दिवाली मे

    नबका कपड़ाक आस लेने

    निराश भऽ जाइत अछि सब बेर

    भारतक आत्मा बसैत अछि गाम में

    ओहि गाम मे

    जतय किछु नहि अछि

    ने बिजली, ने पानि

    ने शिक्षा, ने रोजगार

    बस एकटा चीज अछि गाम मे

    जे हर्ष मे, शोक मे

    दुःख मे, सुख मे

    रहैत अछि संग

    छी संवेदना

    अछि लोकक बीच मे

    अछि लोकक मोन मे

    स्रोत :
    • पुस्तक : समयसँ संवाद करैत (पृष्ठ 71)
    • रचनाकार : कामिनी
    • प्रकाशन : स्मृति प्रिंटर्स एण्ड पब्लिशर्स
    • संस्करण : 2008

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