Font by Mehr Nastaliq Web

अहाँकेँ केओ सोर करैए

कृष्णमोहन झा

अन्य

अन्य

कृष्णमोहन झा

अहाँकेँ केओ सोर करैए

कृष्णमोहन झा

और अधिककृष्णमोहन झा

    रोज रातिमे अहाँकेँ केओ सोर करैए

    सिनेमाक अंतिम शो खत्म भेलाक बाद

    जखन लोकबेद घरमुँहाँ बरद जकाँ घूरि जाइत अछि

    अपन-अपन ठेकानपर

    सोसायटीक चौकीदार

    एक बेर आर अपन सीटी बजाकऽ

    पहाड़क स्मृतिमे डूबल जखन

    बिला जाइत अछि एक टा प्रदत्त अन्हारमे

    जखन रातिक परती खेतकेँ

    अपन सहस्र फारसँ चीरैत-फाड़ैत पड़ा जाइत अछि

    हकासल-पियासल एकबजिया ट्रेन

    बहुत दूरसँ अहाँक नाम लऽकऽ

    केओ सोर करैए

    अहाँ गाढ़ नीन्दमे रहै छी मातल

    कि हठात भीजि जाइत अछि सगर देह

    भालरि जकाँ काँपऽ लगैत अछि अहाँक प्राण

    अहाँ उठि कऽ बैसै छी

    जल पीबै छी

    जहिना करट बदलि कऽ कोनो आन ठाम

    लगबऽ चाहै छी अपन ध्यान

    कि एक टा करुण-कातर आवाज सूनि कऽ

    फेर ठाढ़ भऽ जाइत अछि अहाँक कान

    अहाँ सुतै छी उठै छी

    उठै छी सुतै छी

    सुतैत-उठैत अपन अनिद्राक मरुथलकेँ

    एक टा बूढ़ जर्जर ऊँट जकाँ कहुना पार करै छी

    राति भरि जपैत भगवानक नाम

    मुदा एक टा अनुत्तरित गाम

    बेर-बेर अपन नाम अपन ठाम बदलि कऽ

    बहुत दूरसँ अहाँकेँ सोर करैए

    •••

    अहाँकेँ सोर करैए

    बिढ़नीक छत्ताक उपरमे लटकल एक टा डमहा लताम

    गुनेसर साहक दुआरपर ठाढ़ तेतरिक गाछ

    खलीफाक आड़ाक सिनुरिआ आम

    अहाकेँ सोर करैए

    एक टा टुटलहा स्कूल

    धूरापर खसल जेना सुखलहा फूल

    अहाँकेँ सोर करैए

    चूबैत घर नोनियाँ लागल देबाल

    बाट तकैत खड़ाम फोटोमे लागल मकराक जाल

    अहाँकेँ सोर करैए गाछ-पात लोकबेद आँगन दुआर

    एक आँगुर धँसल आँखि कि टूटल केबाड़?

    अहाँकेँ सोर करैए अहीँसँ छूटल

    अहाँक अभिशप्त अंश

    खाइत-पिबैत सुतैत-उठैत वैह मारैत अछि दंश

    अइ दुनियामे माँगै छै सभ चीज अपन-अपन हिसाब

    पाँच घंटाक बाद माँगय कि पचास बर्खक बाद

    स्रोत :
    • पुस्तक : एकटा हेरायल दुनिया (पृष्ठ 13)
    • रचनाकार : कृष्णमोहन झा
    • प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY