नानी की आँखों के सपने

nani ki aankhon ke sapane

कल्पना पंत

कल्पना पंत

नानी की आँखों के सपने

कल्पना पंत

और अधिककल्पना पंत

    नानी की आँखों के सपने

    कच्ची उमर की शादी से

    सारा जीवन रसोई की सनद रहे

    फिर नानी के बेटियों के लिए

    देखे सपने

    विवाह की भेंट चढ़ गए

    विवाह बेटियों से मुक्ति के उत्सव रहे

    होनहार बेटियों के सपने भी

    बच्चों के सपनों के नीचे दबकर

    एक नींव की ईंट बन गए

    नानी कहती थीं

    कि औरत

    सारा जीवन खटती है

    मरती है तभी रिटायर होती है

    मृत्यु उन्हें रिटायर कर गई

    अंत समय उनकी आँखों में ख़ाली

    सपनों का बीहड़ एक जंगल

    मेरे भीतर बोझिल-सी

    अकुलाहट को भर जाता है

    मेरा मन भी साँझ-सवेरे

    रोज़ अचानक मर जाता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कल्पना पंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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