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एकटा प्रेम-पत्रक मादे कविता

ekta prem patrak made kavita

अरुणाभ सौरभ

अन्य

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अरुणाभ सौरभ

एकटा प्रेम-पत्रक मादे कविता

अरुणाभ सौरभ

और अधिकअरुणाभ सौरभ

    हेयौ फुदन के पप्पा

    झरनाक बहैत पानि जकाँ

    घरक चार चुबैत अछि

    अहाँ कतऽ छी

    अपन देस गलि रहल अछि

    पुरखाक डीहो कोसी हरणकऽ लेलि

    आबिकऽ देखि लियऽ

    अहाँक भाइ दिनमे

    सहरसामे रिक्शा चलबैत अछि

    रातिमे

    हमरा...

    केहन परदेसमे

    बसलहुँ अहाँ

    जे ने अहाँ परदेसक रहलहुँ

    ने हम देसक रहलहुँ

    अहाँ आबू

    ईंटा चिमनीक मजूरी छोड़िकऽ

    बीत भरि जमीन बाँचल अछि

    सड़क कातमे

    से एन. एच. केर लेल देबऽ पड़तै

    तैयो कोनो बात नहि

    ननकू सेहो इस्कूल जाइ लागलै

    दुपहरका सड़ल खाना खाकऽ

    रातिमे खुद्दी रोटी पाबि चिलका

    दिन भरि पढ़ैत अछि

    सुनलियै जे रमनाक बापकेँ

    मारि देलकै पंजाबमे

    बुधुआकेँ काटि देलकै बंबइमे

    से बड्ड डर होइ अछि

    अहाँ आबू फुदन के पप्पा

    सगरे रोड बनतै

    एतहि मजूरी करब

    हम एतहि मडुआ खेसारी केर

    खेती करब

    बच्चा सब माछ पकड़तै

    अहीँक यादि जकाँ देस देखिकऽ

    आँखिसँ कोसीक धार टपकैत अछि

    अप्पन सभटा चुंबन आलिंगन

    केर संगे

    ई, आखिरी प्रेम पत्र लिखैत छी

    अहीँक...

    स्रोत :
    • पुस्तक : एतबे टा नहि (पृष्ठ 76)
    • रचनाकार : अरुणाभ सौरभ
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2017

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