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एक फूल की संरचना

ek phool ki sanrachna

अनुवाद : सुरेश सलिल

अतानास वांगेलोव

अन्य

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अतानास वांगेलोव

एक फूल की संरचना

अतानास वांगेलोव

और अधिकअतानास वांगेलोव

    जब धूप और वसंत ने

    (ज़रूरत समझ कर या किसी और वजह से)

    दरख़्त पर फूल खिलाए

    अचानक एक चिड़िया उतरी

    अपनी ख़ुद की वजहों से

    हवा ने सवारी कसी

    अपनी ख़ुद की वजहों से

    दस्तक दी बारिश ने

    जैसे वहाँ कोई ख़ास दरवाज़ा हो

    और अंत में

    अपनी ख़ुद की वजहों से

    कवि भी वहाँ पहुँचा।

    चिड़िया ने अपना रास्ता पकड़ा

    (उसके आने की वजह उसके गान में है)

    हवा ने रुख़ बदला

    (वह फूलों की भाषा पहले से जानती है)

    बारिश भी वापस लौट चली

    (जिस संगीत के लिए आई थी

    वह उसकी रिमझिम में उतर आया है)

    अचरज सिर्फ़ कवि को है

    कि अपनी वापसी के साथ वह

    चिड़िया, हवा और बारिश को भी लेता आया या नहीं!

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 449)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : अतानास वांगेलोव
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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