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एक ख़त लिखना चाहता हूँ

ek khat likhna chahta hoon

प्रांजल धर

अन्य

अन्य

प्रांजल धर

एक ख़त लिखना चाहता हूँ

प्रांजल धर

और अधिकप्रांजल धर

    हालाँकि ख़त का चलन अब बहुत कम हो गया है

    फिर भी तुम्हें बिसरे ताम्रपत्र की तरह एक ख़त लिखना चाहता हूँ

    नए तरीक़े का वज़नदार ख़त

    सफ़ेद काग़ज़ पर सफ़ेद स्याही वाली कलम से

    मैं लिखूँगा और तुम ही पढ़ सकोगे उसे

    बाक़ी लोगों के लिए वह महज़ कोरा काग़ज़ ही होगा

    कि पढ़ी जा सकने वाली लिखी हुई चीज़ें

    ख़ूब मिटाई गई हैं इधर

    कि अब गिनती से पहले

    पहाड़ा लिखना सिखाया जाने लगा है

    पहाड़े में अगले ही चरण पर

    कोई भारी-भरकम संख्या जाती है अचानक,

    इसीलिए लिखूँगा कि सस्पेंस और ग्लैमर से दूर ही रहना...

    डाक बक्से में उस चिट्ठी को डालना मुनासिब होगा क्या!

    उस पर तुम्हारा पता भी तो सफ़ेद स्याही से ही लिखा होगा

    डाकिया उसे ग़ैर-पते वाली चिट्ठी समझकर कूड़े में तो नहीं फेंक देगा

    कितनी ही आशंकाएँ उपजती हैं मुझमें

    एक ख़त लिखूँ, यह सोचने मात्र से पहले

    लिखूँगा ख़त में कि आशंकाएँ ही अब हमारी एकमात्र मार्गदर्शक पुस्तकें हैं

    फिर भी, इनसे मार्गदर्शन नहीं लेना है हमें!

    उसमें लिखूँगा कि तलछट की शक्ल वाले मेरे बुख़ार का

    दिन भर की मेहनत या भागदौड़ से

    या फिर धूप से भी कोई संबंध नहीं

    अंत में लिखूँगा

    कि थोड़ा लिखा है, ज़्यादा समझना

    समझना तो लिखना वापस

    एक जवाबी ख़त

    जिसे पढ़कर मेरे अंदर की हरीतिमा नई कोंपल हो जाए।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रांजल धर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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