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हाथ

haath

अनुवाद : रमेश कौशिक

बहनो मेरे गाँव की—

कोई पुरुष नहीं सोचेगा

कभी तुम्हारे हाथों का चुंबन लेना

जैसा नगरों में होता है।

फिर भी, हाथ तुम्हारे ये सबसे अच्छे हैं :

तुमने पाले लोग हमारे वर्ष हज़ारों

झेला उनको नौ महीने तक दिल के नीचे

और झुलाया तीन वर्ष अपनी बाँहों में—

ऐसा हमने सुना तुम्हीं को गाते।

हाथ तुम्हारे रोपा करते हैं गुलाब

औ' सन के पौधे

वे तम्बाकू से तीखे हैं

अंगूरों के कारण मीठे

गेहूँ के पूलों की उनमें ख़ुशबू बसती।

नहीं तुम्हारी गोदी में

वे बहुत देर निष्कर्म रहेंगे

जब तुम सो जाओगी तब ही वे आराम करेंगे

इन हाथों में

कथा तुम्हारे जीवन की बाँची जा सकती :

अपने बच्चे को दुलराने में कोमल हैं

किंतु पकड़ने पर कुदाल ये ही कठोर हैं

चाक़ू, हँसिया लेने पर ये शृंगी और भयानक होते

बर्फ़ीले जल से सूजे हैं पोर उँगलियों के इनके

और त्वचा पपड़ाई तीखे पाले से

नहीं-नहीं, कोई भी कभी नहीं सोचेगा

ऐसे हाथों का चुंबन लेना।

इनको तो बस चूमा करती केवल धरती

औ' बौछारें बरसातों की

सूरजमुखी खड़े हो जाते निज पैरों पर अभिवादन को

पशुओं के रेवड़ स्वागत करते मिमियाने रंभाने से...

जो भी अपनी इस धरती पर पैदा होते

उन सबको ये हाथ सदा आशीषें देते।

स्रोत :
  • पुस्तक : बल्गारियाई कविताएँ (पृष्ठ 107)
  • संपादक : रमेश कौशिक
  • रचनाकार : स्तांका पेनचेवा
  • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
  • संस्करण : 1985

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