प्रेमिका ने सिखाई आत्महत्या
दोस्तों ने हार्ट अटैक से मरकर
कम उम्र में दिए धोखे
मैं लिख रहा हूँ यह कविता
उन सारी क़तारों के नाम
जो प्रेमिकाओं की 'हाँ' सुनने के इंतज़ार में लगी हैं—
कहीं न कहीं
उन हाथों के नाम
जो अजनबियों के लिए करते हैं प्रार्थनाएँ
उन सारी आँखों के नाम
जो कभी न लौटने वाले प्रेम की प्रतीक्षा में रहीं—
उम्र भर
उन सारे कुत्तों के नाम
जो बेवजह आदमी के वफ़ादार हैं
मुर्ग़ों और काँच के गिलासों के नाम
जो हर वक़्त तैयार रहे—
कटने और फूटने के लिए
दुनिया के उन तमाम यात्रियों के लिए
जो बसों और ट्रेनों में धक्के खाते रहे
ऊँघते रहे—
खड़े-खड़े
उन जेबक़तरों के नाम
जिन्होंने जेबें काटीं
लेकिन बटुए में रखी तस्वीरें लौटा दीं
घर से भागे हुए लड़कों के नाम
जिन्होंने अपने लिए चुने—
अनजान रास्ते और गुमनामी
उस डोरमेट्री के नाम
जो आधी रात में
सबसे ज़्यादा नाउम्मीदी में मिली मुझे
उन पंडितों के लिए
जिन्होंने मेरा हाथ देखकर कहा था
तुम्हारा भाग्य अच्छा है
तुम्हारा प्रेम-विवाह नहीं होगा
अजनबियों के नाम
जिनसे मैं कभी मिल नहीं सका
जो कभी मेरी किताबें नहीं पढ़ सकेंगे
उन सारे ताबूतों और क़ब्रों के नाम
जिन्हें छूकर सबसे पवित्र इज़हार किए गए
उन घाटों के नाम
जहाँ जलती चिता के सामने स्वीकार किया गया—
‘हाँ मैं तुमसे प्रेम करती थी’
और अंत में
बहुत बेदर्दी के साथ
यह किताब
और ये सारी कविताएँ—
मैं अपने ही नाम समर्पित करता हूँ
मैंने अकेले ही सीखा—
दो पंक्तियों के बीच ज़िंदा रहना
दो शब्दों के बीच अपनी जगह बनाए रखना।