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चुप्पी

chuppi

बोलना

संसार से जोड़ता है

बाहर की तरफ़ रास्ता खोलता है

चुप्पी भीतर की ओर

ले के जाती है

स्वयं तक

पर चुप्पी में

बहुत गहरे उतर जाने पर

स्वयं से दूर भी चला जाता है आदमी

चुप्पी

विरोध और उदासीनता

दोनों को संकेत करती है

विरोध बदलाव की तरफ़ ले के जाता है

उदासीनता मृत्यु की ओर

कभी दुनियाँ को समझकर

कभी दुनियाँ से हारकर

चुप होता है आदमी

चुपके पानी में

सबसे स्थिर और गहरी

उतरती है छवि

मन की

संसार की

चुप्पी के दायरे से उठकर

जाता है जब कोई संसार की ओर

स्वयं को और संसार को

बदली हुई दृष्टि से

देख पाता है फिर वह।

स्रोत :
  • रचनाकार : राजीव कुमार तिवारी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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