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छूटे हुए लोग

chhute hue log

आकाश वर्मा

अन्य

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आकाश वर्मा

छूटे हुए लोग

आकाश वर्मा

और अधिकआकाश वर्मा

    छूटे हुए लोग, हर जगह होते हैं

    वे अपने आप को बाँटने के लिए लालायित होते हैं

    पर वाचाल नहीं होते

    वे क्रोध में तो होते हैं पर खूँखार नहीं होते

    और चुप रहते हैं।

    वे तो बस चिड़िया की तरह होते हैं जो

    कौवों से डर जातीं है

    वे किसी पेड़ के

    निचले और पीले पड़ चुके पत्तों जैसे होते हैं

    जो भरसक कोशिश करते हैं

    फिर भी गिर जाते हैं

    उन जुगनूओं की तरह होते हैं वो

    जो जाने किस लिए बस अँधेरों में चमकती हैं

    सबसे छिप के

    और दिन में खो जाते हैं

    वे छूटे हुए लोग

    किसी के अहँकार से, अधिकार से, और भीड़ में दब गई

    आवाज़ की तरह होते हैं

    जो कुछ नहीं कहते।

    ये जीवन की सारी संभावनाओं और

    अच्छे कर्मों के प्रति आश्वस्त रहते हैं

    और विश्वास करते हैं अच्छी सुबहों के आने का।

    वे घरों में होते हैं

    और चुपचाप अपना काम करते हैं

    वे कई ओहदों पर होते हैं

    और इस्तेमाल किए जाते हैं।

    वे सभाओं में अपनी बारी के लिए

    बढ़ती धड़कनों के साथ भीतर ही भीतर

    तूफ़ान की तरह व्याकुल

    और बाहर से पहाड़ों जैसे शांत रहते हैं

    निरंतर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : आकाश वर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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