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बेटी

beti

आदित्य रहबर

और अधिकआदित्य रहबर

    बहुत ख़ुश थे वह

    पहली बार बाप बनना किसे गौरवान्वित नहीं करता

    सबने कहा—

    बेटी हुई है :

    भोज तो बनता है

    उन्होंने भोज किया ख़ूब धूमधाम से

    बिटिया जब दो साल की हुई

    तो उसके साथ खेलने के लिए कोई तो चाहिए

    ऐसा कहकर एक और बार बाप बने वह

    इस बार हँस रहे थे

    ख़ुश नहीं थे

    बिटिया ख़ूब ख़ुश थी

    उसे तो खेलने के लिए

    एक खिलौना मिल गया था

    उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है

    खिलौना लड़का है कि लड़की

    हाँ, बाप को पड़ रहा था

    गाँव के लोग इस बार भोज के लिए नहीं आए

    बधाई दी

    हाँ, दुखी होने का ढोंग ज़रूर किया

    एक ने सलाह दी—

    एक बार और देख लेने में क्या जा रहा

    भगवान के घर देर है अँधेर नहीं।

    तय हुआ कि एक बार और देख ही लिया जाए

    उनकी पत्नी की भी यही इच्छा थी

    घर के लिए कम से कम एक लाठी तो चाहिए ही

    बेटी जात थोड़ी जाएगी लड़ने

    इस बार ख़ूब पूजा-पाठ किया उन्होंने

    छठ पूजा करने का मन्नत भी माँग लिया

    सब कुछ अच्छे से चल रहा था

    देश में पहली कोई लड़की फ़ाइटर प्लेन उड़ाने जा रही थी

    तब अख़बार लेकर लगभग दस लोगों को उन्होंने बताया होगा

    कि देखो अब लड़कियाँ भी आगे बढ़ रही हैं

    प्लेन से लड़ेंगी दुश्मनों से

    देखो यह लड़की अपने ही राज्य की है

    दुनिया कितना आगे निकल गई है

    और हम लोग अभी भी गाँव में ही हैं

    गाँव के लोग उनकी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहे थे

    सुने ही क्यों न!

    आख़िर गाँव के अच्छे पढ़े-लिखे लोगों में से जो आते हैं।

    उसके अगले ही दिन

    वह तीसरी बार बाप बने

    चेहरे पर शोक और शर्म की रेखा समानांतर दिख रही थी

    गाँव के लोग उनके नसीब का मूल्यांकन कर रहे थे—

    बेचारे के नसीब में ही नहीं कुल का दीपक!

    वह चौथी बार बाप बनने की तैयारी में लगे हैं

    गाँव वाले पुत्र की प्राप्ति पर होने वाले भोज की

    और हमारे देश की बेटियाँ ओलंपिक में गोल्ड की।

    स्रोत :
    • रचनाकार : आदित्य रहबर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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