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चट्टान और लहरें

chattan aur lahren

अनुवाद : दिनेश चमोला

मौं ल्वां:तू

मौं ल्वां:तू

चट्टान और लहरें

मौं ल्वां:तू

और अधिकमौं ल्वां:तू

    धीमी-धीमी बयार

    नदिया का मुँह

    लहरें चूमती हैं

    जब भी आता है तूफ़ान

    उठता है

    लहरों का स्वर

    रौंद डालता है वह

    चट्टानों के टुकड़े

    और कर देता सारे रिश्ते छिन्न-भिन्न

    प्रेमी

    जो व्यवहार करे

    लहरों-सा

    चाहे तो तुम स्पर्श करो

    और सताओ

    या कि तोड़ो अथवा रौंद डालो

    मुझे नहीं है परवाह

    जब तक

    मैं नहीं बन जाती

    चट्टान की तरह

    जो

    अब या तब

    मिल जाए धीमी सफ़ेद लहरों से।

    स्रोत :
    • पुस्तक : समकालीन बर्मी कविताएँ (पृष्ठ 178)
    • संपादक : चन्द्र प्रकाश प्रभाकर 'मौतीरि'
    • रचनाकार : मौं ल्वां:तू
    • प्रकाशन : इरावदी प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1994

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