Font by Mehr Nastaliq Web

चन्द्रमाक मृत्यु

chandrmak mrityu

हरिमोहन झा

अन्य

अन्य

हरिमोहन झा

चन्द्रमाक मृत्यु

हरिमोहन झा

और अधिकहरिमोहन झा

    चन्द्रमुखी राकेट सँ उतरि

    एक लात चन्द्रमा केँ मारलथिन्ह।

    धुर जो! एहने उभड़-खाभड़ टेढ़े-मेढ़ टिल्हा-डाबर,

    यैह हमरा मुँहक परतर करत?

    हजारो वर्ष सँ कोढ़िया उपमान बनल छल।

    वाल्मीकिसँ विद्यापति पर्यन्त

    केहन भ्रम मे रहलाह!

    एही चुहार सँ हमर उपमा दैत छलाह।

    बुड़बक चकोर

    कुमुदनी बताहि

    सभ एकरे पाछाँ बेहाल छल।

    हजारो वर्ष सँ लोककेँ ठकैत छल।

    लाखो कोस सँ चमकैत छल

    चोरक मुँह चान सन!

    आइ तोहर कलइ खूजल पाथर मुँहखोद्धा।

    मारि चप्पल मारि चप्पल

    सोझ करबौ सरधुए!

    व्यास कालिदास सूरदास तुलसीदास

    सभ छलाह सोझिया

    तोरा सँ ठकल गेलाह

    मुखचन्द्र चन्द्रवदन जन्म भरि रटैत गेलाह

    घसल रेकर्ड जकाँ उपमा दोहरबैत गेलाह।

    परन्तु आबक नऽव कवि

    सजग सतर्क छथि।

    राकेट उड़बैत छथि।

    नव-नव प्रतीक भेल

    आब हमर उपमा

    बल्ब सँ देल जायत

    टुमाटो सँ देल जायत

    रेडियो सँ देल जायत

    ट्रान्जिस्टर सँ देल जायत।

    और तोरा पर चलौतह

    फावड़ा ट्रैक्टर।

    पेट तोहर फाड़ि देतौह

    चानि तोहर चूड़ि देतौह

    ऊपर सँ बाओग करतौह

    सामा कोदो

    ऊपर सँ रोपि देतौह

    अल्हुआ सुथनी

    सुथनी सन मुँह नेने रहह विधुआएल।

    आब कोढ़िये मुइलह

    गेलौह तोहर युग

    लय लिहऽ चौठिचन्द्रक भुसबा केरा!

    स्रोत :
    • पुस्तक : हरिमोहन झा रचनावली खण्ड-4 (पृष्ठ 94)
    • रचनाकार : हरिमोहन झा
    • प्रकाशन : जनसीदन प्रकाशन
    • संस्करण : 1999

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY